मुजफ्फरनगर का गुड़--मिठास की शाही विरासत
यहाँ का गुड़। यह न केवल स्वाद और गुणवत्ता का प्रतीक है बल्कि इसे "शाही मिठाई" का दर्जा भी हासिल है।
भारत के दिल में बसा उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा जिला मुजफ्फरनगर, अपनी ऐतिहासिक धरोहर और कृषि परंपराओं के लिए जाना जाता है। लेकिन यह जिला अपनी एक अनमोल धरोहर के लिए खासतौर पर प्रसिद्ध है—यहाँ का गुड़। यह न केवल स्वाद और गुणवत्ता का प्रतीक है बल्कि इसे "शाही मिठाई" का दर्जा भी हासिल है।
कृषि से संस्कृति तक का सफर
मुजफ्फरनगर के खेतों में लहराते गन्ने की फसलें यहाँ की मिट्टी की उर्वरता और किसानों के कठिन परिश्रम का जीवंत उदाहरण हैं। इन गन्नों से निकला रस जब पारंपरिक तकनीकों से गुड़ में तब्दील होता है तो उसमें केवल मिठास नहीं बल्कि संस्कृति की गहराई भी घुल जाती है। यह गुड़ न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि रसायनों से रहित पूरी तरह से प्राकृतिक होता है।
मुजफ्फरनगर के गुड़ की मिठास ने केवल क्षेत्रीय सीमाओं को नहीं लांघा बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई। इसका सबसे गौरवशाली क्षण तब आया जब 1979 में भारत रत्न चरण सिंह ने देश के प्रधानमंत्री का पदभार संभाला। एक किसान नेता के रूप में उनका प्रधानमंत्री बनना पूरे देश खासकर ग्रामीण भारत के लिए गर्व का पल था। इस ऐतिहासिक उपलब्धि की खुशी में दिल्ली में मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध गुड़ को बांटकर लोगों का मुँह मीठा कराया गया। यह क्षण न केवल चरण सिंह के प्रति आदर और प्रेम का प्रतीक था बल्कि यह भी दिखाता है कि मुजफ्फरनगर का गुड़ भारतीय किसान की ताकत और शुद्धता का प्रतीक बन चुका था।
स्वाद, सेहत और आत्मनिर्भरता
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहाँ कृत्रिम मिठास और रसायनों से युक्त खाद्य पदार्थ हमारी सेहत को नुकसान पहुँचा रहे हैं। वहीं मुजफ्फरनगर का गुड़ एक स्वस्थ और प्राकृतिक विकल्प के रूप में उभरता है। इसमें मौजूद आयरन, पोटैशियम और मिनरल्स इसे ऊर्जा और पोषण का बेहतरीन स्रोत बनाते हैं। खासतौर पर सर्दियों में यह शरीर को गर्म रखने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। मुजफ्फरनगर का गुड़ अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। इसकी ख्याति विदेशों तक पहुँच चुकी है। विदेशों में इसकी माँग बढ़ रही है। यह न केवल आर्थिक विकास का स्रोत बना है बल्कि "मेक इन इंडिया" अभियान का भी मजबूत स्तंभ साबित हो रहा है। मुजफ्फरनगर का गुड़ केवल मिठास नहीं है यह हमारी संस्कृति, परिश्रम और पारंपरिक ज्ञान का प्रतीक है। यह हमें न केवल स्वाद का आनंद देता है बल्कि स्वस्थ जीवन की ओर भी प्रेरित करता है। भारत रत्न चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने पर इस गुड़ से बाँटी गईं खुशियाँ इस मिठास को एक ऐतिहासिक गौरव का दर्जा देती हैं। हमें इस अमूल्य धरोहर पर गर्व है और इसे संजोने का संकल्प लेना चाहिए ताकि यह मिठास पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहे।
लेखिका-मोनालिसा जौहरी
एसडीएम खतौली, मुजफ्फरनगर