वक्फ संशोधन बिल-जमियत जिलाध्यक्ष मौलाना मुकर्रम को पुलिस ने भेजा नोटिस

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कॉल पर मस्जिदों में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन करने को लेकर प्रशासन कर रहा कार्यवाही;

Update: 2025-04-08 10:54 GMT

मुजफ्फरनगर। वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कॉल पर मस्जिदों में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन की कार्यवाही लगातार जारी है। जिला प्रशासन की ओर से पिछले तीन दिनों से लगातार काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ नोटिस जारी किए जा रहे हैं। पुलिस के मुताबिक लगभग 500 लोगों के खिलाफ जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया है। खास बात यह है कि जिला प्रशासन की ओर से मुस्लिम समाज के उन जिम्मेदार लोगों को नोटिस भेजा गया है जो इस्लाम और शरीयत के नाम पर अपनी राजनीति चमकाते रहते हैं।

जमीयत उलेमा ए हिंद के मुजफ्फरनगर जिला अध्यक्ष मौलाना मुकर्रम कासमी को जिला प्रशासन से नोटिस मिलने के बाद उन्होंने ज़रूर कहा है कि बस इतना समझ लीजिए कि यह जुल्म है कि हम मुसलमान है। मौलाना मुकर्रम कासमी ने बताया कि नोटिस तो बहुत से लोगों को मिला है और यह क्यों दिया गया है, यह हमारी समझ से परे है । हम जिम्मेदार लोग हैं और हम मुस्लिम तंजीमो के रहनुमा है, मुसलमान के मुद्दे उठाते हैं इसलिए हम समझते हैं कि हमें नोटिस दिया गया होगा, लेकिन हमें कोई दिक्कत नहीं है, इस बात से की हमें नोटिस दिया गया है, हम तो पहले भी मुसलमान के मुद्दे उठाते थे और आगे भी मुसलमान के मुद्दे उठाते रहेंगे। जितने भी जिम्मेदार लोग हैं सभी को नोटिस दिए गए हैं और भोले-भाले लोगों को नोटिस के नाम पर डराया जा रहा है, प्रशासन को ऐसा नहीं करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी कहा था कि हम कोई भी धरना प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कोई मैसेज आएगा, तो देखा जाएगा, लेकिन मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस कानून के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। मैं यह मानता हूं कि जब अमन शांति बनी हुई है और हर लोग अपने घर में मौजूद हैं, तो जिला प्रशासन को इस तरह की कोई भी कार्यवाही नहीं करनी चाहिए थी। मुजफ्फरनगर में लगभग 500 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजा गया है, सिर्फ इसलिए कि यह लोग आगे कोई धरना-प्रदर्शन नहीं करें। शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन करना तो संविधान में कानूनी हक है, संविधान में हमें इसका अधिकार दिया गया है। अगर धरना-प्रदर्शन हमने किया होता, तो उसके बाद ही नोटिस दिया जाता तो बात सही थी, लेकिन जब किसी ने कुछ किया ही नहीं , उसके बावजूद भी सभी को नोटिस दे दिया गया, तो यह हमारी समझ से बहुत परे है। जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से दिल्ली से अगर कोई भी कॉल आएगी तो लिहाजा हम जिम्मेदार लोग हैं और हमें वह काम करना पड़ेगा। डरता तो वह है, जिसके अंदर कोई ऐब होता है, हमारे अंदर तो कोई ऐब नहीं है। हम क्यों डरेंगे इस तरह के नोटिस से हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हम शांति बनाने वाले लोग हैं, अशांति फैलाने वाले लोग नहीं है।

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