अब किसानों की सहमति से ही होगी चकबंदी
प्रदेश सरकार ने चकबंदी (Consolidation of Land Holdings) की प्रक्रिया को लेकर नया आदेश जारी किया है। अब किसी भी राजस्व ग्राम में चकबंदी तभी लागू होगी, जब उस गांव के कम से कम 75% खाताधारक (किसान) लिखित सहमति देंगे। इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को मुख्यालय स्तर से निर्देश भेज दिए गए हैं।
पहले क्या था नियम?
अब तक ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत के चुने हुए सदस्यों के बहुमत से भेजा गया प्रस्ताव भी चकबंदी के लिए मान्य होता था। लेकिन कई बार इस प्रक्रिया में किसानों के बीच विवाद और विरोध के मामले सामने आते थे, जिसके कारण कोर्ट केस तक पहुंचना पड़ता था।
प्रदेश के कितने गांवों में चकबंदी संभव?
- प्रदेश में कुल 1,07,529 राजस्व ग्राम हैं।
- इनमें से 6,974 गांव ऐसे हैं, जहां कभी चकबंदी नहीं हुई।
- चकबंदी विभाग के मुताबिक, इन गांवों में से केवल 1,767 गांव ही ऐसे हैं, जहां चकबंदी हो सकती है।
बाकी गांवों में पहाड़ी भूभाग, नदी का कटान, बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण और अधिकतर क्षेत्र वन भूमि में होने के कारण चकबंदी संभव नहीं है।
किसानों की सुविधा के लिए नया नियम
चकबंदी विभाग का कहना है कि यह प्रक्रिया किसानों की सुविधा के लिए होती है। लेकिन अक्सर शुरुआत में ही विरोध शुरू हो जाता है। इसीलिए अब नया प्रावधान लागू किया गया है कि चकबंदी से पहले गांव के 75% किसानों की लिखित सहमति जरूरी होगी। इसके लिए सहमति पत्र का प्रारूप भी जिलाधिकारियों को भेजा गया है।