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नफीस कालिया गिरोह के सदस्य नईम धोबी की जेल में मौत

मुज़फ्फरनगर। जिला कारागार में गैंगस्टर एक्ट के तहत बंद नफीस कालिया गैंग के सदस्य रहे 54 वर्षीय नईम धोबी की मौत हो गई है। नईम, खालापार निवासी थे और हाल ही में दिल की बीमारी के चलते मेरठ के एक अस्पताल में उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी। सर्जरी के बाद उन्हें जिला कारागार वापस लाया गया, जहां इलाज पूरा होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।

नईम के बेटे नदीम ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पिता को दो साल की सजा हुई थी और एक परवाना भी जेल पहुंच चुका था, जिससे उनकी शीघ्र रिहाई होनी थी। हार्ट की समस्या के चलते जेल प्रशासन ने उन्हें मेरठ में भर्ती कराया, जहां सर्जरी के दौरान उनके दिल में छल्ले डाले गए। नदीम के अनुसार, इलाज पूरा नहीं हुआ था, फिर भी जिला जेल के डॉक्टरों ने उन्हें जल्द छुट्टी दिला दी।

नदीम ने बताया कि हमें सुबह 6 बजे जेल से फोन आया कि अब्बू की मौत हो गई है, लेकिन उनकी मौत रात में ही हो गई थी। यह साफ तौर पर लापरवाही का मामला है। नईम के भाई नफीस ने भी जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी हालत स्थिर नहीं थी, फिर भी उन्हें अस्पताल से छुड़ाकर जेल वापस बुला लिया गया। उन्होंने पुष्टि की कि नईम, नफीस कालिया गैंग से जुड़ा हुआ था। मौत के बाद जिला कारागार से नईम धोबी के शव को जिला अस्पताल भिजवाया गया, जहां से पोस्टमार्टम के लिए शव मोर्चरी पर भेज दिया गया। यहां जेल से आये लोगों, पुलिस कर्मियों और चिकित्सकों के सामने ही परिजनों ने भारी हंगामा भी किया। मामले को लेकर जिला जेल प्रशासन की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। परिजन मामले की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

सरवट गेट पर अजमल छिम्पी, लद्दावाला में सभासद रमजान का किया था कत्ल

नईम धोबी कुख्यात नफीस कालिया गिरोह का शॉर्प शूटर रहा है। 1980-90 के दशक में नईम धोबी आतंक का पर्याय रह चुका है और उस पर कुख्यात नफीस कालिया, सलीम तोतला आदि के साथ गैंग बनाकर हत्या, डकैती तथा लूट आदि की घटनाओं को अंजाम देने के आठ मुकदमे दर्ज किए गए थे।

गौरतलब है कि 1991 में शहर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक राजपाल सिंह ने नईम धोबी पुत्र बशीर निवासी खालापार को गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध करते हुए मुकदमा दर्ज किया था। आरोप था कि नईम धोबी ने कुख्यात नफीस कालिया, सलीम तोतला, बालम, शाहनवाज उर्फ पप्पू के साथ मिलकर एक गैंग बनाया। इसका उद्देश्य जनता को डरा, धमकाकर आर्थिक लाभ अर्जित करना था। इसके समर्थन में उन्होंने नईम धोबी गैंग द्वारा उस समय तक अंजाम दी गई लूट, हत्या तथा डकैती आदि की करीब छह घटनाओं का हवाला दिया था, जिनमें नई मंडी निवासी सत्यप्रकाश मित्तल से 16 जून 1996 को मिमलाना रोड स्थित उसके फार्म हाउस से चौकीदार से मारपीट कर बलपूर्वक उसका ट्रैक्टर लूटने का प्रयास का मामला, जिसमें सलीम तोतला, नईम धोबी आदि को गिरफ्तार किया गया।

दूसरी घटना में शहर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक नरोत्तम सिंह ने नईम धोबी गैंग पर पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला करने का मुकदमा दर्ज कराया था, तीसरी घटना में शहर कोतवाली क्षेत्र के सरवट गेट पर 31 दिसंबर 1988 को सुबह आठ बजे अजमल पुत्र इब्राहिम छिम्पी की हत्या का मामला। चौथी घटना में नगर पालिका सभासद रमजान का लद्दावाला में अपने कार्यालय पर बैठे हुए 19 अगस्त 1989 को कत्ल कर दिया गया, इसमें भी नईम पर मुकदमा दर्ज हुआ था।

मेरठ जनपद के शराब ठेकेदार को लूटने की योजना

पांचवी घटना में 31 जनवरी 1990 को मेरठ जनपद के थाना सदर बाजार क्षेत्र के शहीद स्मारक भैंसाली में एकत्र होकर एक शराब ठेकेदार को रोजाना बिक्री से मिलने वाले पांच से छह लाख रुपए लूटने की योजना बनाने, मगर पुलिस द्वारा डकैत सलीम तोतला, नईम धोबी, शाहनवाज उर्फ पप्पू, ऐजाज और मेराज निवासी बकरा मार्केट को घटना अंजाम देने से पहले ही गिरफ्तार लिया जाने का मामला दर्ज हुआ।

ईद के दिन सलीम तोतले के साथ मिलकर किया था शफीक का कत्ल

छठी घटना 11 अप्रैल 1991 को शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला खालापार की गूलर वाली गली में लोगों पर रोब जमाने और आतंक का राज स्थापित करने के लिए गैंग के सदस्य नईम धोबी, सलीम तोतला तथा उसके भाई बालम आदि ने कय्यूम निवासी मल्हुपुरा पर गोलियां बरसा दी थीं। सातवीं घटना 23 जून 1991 को ईद के दिन मुजफ्फरनगर निवासी शफीक पुत्र मेहरबान पर सलीम तोतला और गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर शूटर नईम धोबी द्वारा ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने व हमले के बाद शफी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो जाने का मुकदमे का उल्लेख किया गया था।

साक्ष्य के अभाव में 31 साल पुराने मुकदमे में किया गया बरी

1991 में नईम धोबी के खिलाफ दर्ज किये गये गेंगस्टर के मुकदमें की सुनवाई गैंगस्टर एक्ट कोर्ट के जज एडीजे-5 बाबूराम ने की। उन्होंने अपै्रल 2022 में इस मुकदमे में फैसला सुनाते हुए नईम को बरी कर दिया था, क्योंकि पुलिस या अभियोजन पक्ष नईम के खिलाफ कोई भी स्वतंत्र गवाह कोर्ट में पेश करने में सफल नहीं हो पाया था। 31 साल बाद इस मुकदमे से नईम धोबी को राहत मिली थी। अभियोजन पक्ष मुकदमे आरोपित नईम धोबी के विरुद्ध जनता का कोई स्वतंत्र साक्षी प्रस्तुत कराने में नाकाम रहा। ट्रैक्टर लूट के मामले में वादी मुकदमा सत्यप्रकाश मित्तल ने कोर्ट में पेश होकर कहा कि वह 95 वर्ष का है। अब उसे याद नहीं कि उसने ट्रैक्टर लूट का कोई मुकदमा दर्ज कराया था। वह आरोपित नईम पुत्र बशीर को भी नहीं जानता। इसके बाद कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चर्चित नईम धोबी को बरी कर दिया।

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