आरोप-10 वर्षों से क्षतिग्रस्त माइनर के कारण लाभ पाने से वंचित हैं किसान, विभागीय लापरवाही पर ग्रामीणों में रोष, अभियंता ने मांगा समय
मुजफ्फरनगर। चरथावल क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था की बदहाली ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीते दस वर्षों से क्षतिग्रस्त पड़ी सैदपुरा माइनर की मरम्मत न होने से गुस्साए ग्रामीणों ने गुरुवार को क्रांतिसेना पदाधिकारियों के नेतृत्व में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय का घेराव किया। ग्रामीणों ने विभाग पर करोड़ों की बंदरबांट और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए।
चरथावल क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण गुरुवार को क्रांतिसेना पदाधिकारियों के साथ सिंचाई विभाग के आर्य समाज रोड स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय पहुंचे और ज़ोरदार प्रदर्शन करते हुए सैदपुरा माइनर की तत्काल मरम्मत की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने विभागीय अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि बीते दस वर्षों से सैदपुरा माइनर पूरी तरह क्षतिग्रस्त है, लेकिन विभाग केवल मरम्मत और सफाई के नाम पर कागज़ी कार्यवाही कर रहा है।
क्रांतिसेना जिलाध्यक्ष मुकेश त्यागी ने कहा कि ष्सिंचाई विभाग की भ्रष्ट नीतियों के कारण चरथावल क्षेत्र के किसान सिंचाई के पानी से वंचित हैं। माइनर की सफाई और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च दिखाए गए, लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मंगलवार तक सैदपुरा माइनर की मरम्मत शुरू नहीं की गई तो किसान और ग्रामीण विभाग के खिलाफ अनिश्चितकालीन घेराव शुरू करेंगे। महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी ने कहा कि पानी की कमी से चरथावल, सैदपुर, अलावलपुर, गैसों खेड़ा, दर्शनपुरा सहित दर्जनों गांवों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। ऐसे में किसानों के पास अब न तो धैर्य बचा है और न ही उम्मीद। प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए सिंचाई विभाग से जवाबदेही की मांग की। इस मौके पर मुख्य अभियंता ने प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की और मंगलवार तक आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया।
इस दौरान क्रांतिसेना जिलाध्यक्ष मुकेश त्यागी, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी, चरथावल ब्लॉक अध्यक्ष अजय सैनी, महानगर अध्यक्ष देवेंद्र चौहान, उज्जवल पंडित, राजेंद्र तायल, सौरज सिंह, अनिल कश्यप, दीपचंद, श्याम कुमार, संजीव वर्मा, राजन वर्मा, चेतन देव विश्कर्मा, धर्मपाल, रतिराम, प्रमोद कुमार, राजकुमार, सुभाष चंद, बिट्टू सहित अनेक कार्यकर्ता और ग्रामीण मौजूद रहे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर विभाग ने आश्वासन के अनुसार कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। फिलहाल सबकी निगाहें सिंचाई विभाग पर टिकी हैं कि क्या मंगलवार तक वर्षों से लंबित इस समस्या का समाधान हो पाएगा या किसान एक बार फिर आश्वासनों के सहारे रह जाएंगे।






