शोभा यात्रा में फूलों से सजी दिव्य झांकी ने मन मोह लिया, साध्वी प्राची व ब्लॉक प्रमुख अमित चौधरी ने दिए संस्कृति-संरक्षण के संदेश
मुजफ्फरनगर। गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर शहर भक्तिरस में डूबा दिखाई दिया। टाउनहाल मैदान से निकली श्रीमद्भागवत गीता की शोभायात्रा में श्रद्धा, संस्कृति और समरसता का अनूठा संगम देखने को मिला। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर यात्रियों का स्वागत किया, जबकि स्कूली बच्चों द्वारा बजाई गई भक्तिमय धुनों ने वातावरण को आध्यात्मिकता से सराबोर कर दिया।

गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में नगर में निकाली गई श्रीमद्भागवत गीता की विशाल शोभायात्रा ने सोमवार को धार्मिक उल्लास का वातावरण बना दिया। टाउनहाल मैदान से प्रारंभ हुई इस यात्रा में शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। शोभायात्रा की मुख्य आकर्षण श्रीश्यामा श्याम व श्रीचौतन्य महाप्रभु की भव्य झांकी रही, जिसे पुष्पों और आकर्षक सजावट से अलंकृत किया गया था। झांकी के दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह दिखाई दिया। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने भजनदृकीर्तन गाते हुए यात्रा में सहभागिता की। स्कूली बच्चों ने बैंड की मनभावन धुनों से सभी को भावविभोर कर दिया, जबकि बच्चों ने भारतीय संस्कृति और संस्कारों का महत्व भी सीखा।

यात्रा के शुभारंभ से पूर्व ब्लॉक प्रमुख अमित चौधरी ने विधि-विधान से पूजन कर यात्रा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गीता मानव जीवन का अनुपम मार्गदर्शक ग्रंथ है, जो कर्तव्य, अनुशासन और सदाचार का संदेश देता है। उन्होंने युवाओं से संस्कृति के संरक्षण और समाज में सद्भाव बनाए रखने की अपील की। शोभायात्रा में विशेष रूप से उपस्थित रहीं साध्वी प्राची, जिन्होंने अपने संबोधन में धार्मिक आयोजनों को समाज को जोड़ने वाला माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने का विज्ञान है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि बच्चों को धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने के लिए ऐसे आयोजनों में उन्हें अवश्य शामिल करें। शहर के विभिन्न चौराहों पर यात्रा का पुष्पों से स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं में पूरे दिन गीता जयंती का उत्साह और भक्ति का संचार बना रहा। आयोजकों के अनुसार, इस प्रकार के कार्यक्रम समाज में आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करते हैं।






