रोजाना बसों की तेज रफ्तार से बच्चों की सुरक्षा पर संकट, अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन को दिया 10 दिन का अल्टीमेटम
मुजफ्फरनगर। रेलवे स्टेशन के निकट स्थित एस.डी. पब्लिक स्कूल के जूनियर विंग के बाहर गुरुवार को अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया। रोजाना रोडवेज बसों के तेज रफ्तार से गुजरने और स्कूल गेट के सामने बने अवैध बस स्टैण्ड से परेशान अभिभावकों का सब्र आखिरकार टूट गया। कई बार शिकायत करने के बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अभिभावक एकजुट होकर स्कूल पहुंचे और स्कूल इंचार्ज से तीखे अंदाज में बातचीत की। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से सवाल किया कि क्या वे किसी अनहोनी घटना का इंतजार कर रहे हैं? उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 10 दिनों के भीतर बसों के ठहराव और रफ्तार पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वे स्कूल गेट के बाहर धरने पर बैठेंगे।
एस.डी. पब्लिक स्कूल के जूनियर विंग रेलवे स्टेशन के पास है, यहीं पर एसएसपी का सरकारी आवास, रोडवेज बस स्टैण्ड, एक इंटर कॉलेज और एक गुरूद्वारा भी है। इस स्कूल के ठीक बाहर रोडवेज बसों का एक अवैध स्टैण्ड बना हुआ है। बसें यहां बिना किसी अनुमति के रुकती हैं और तेज रफ्तार से गुजरती हैं। स्कूल में आने-जाने वाले छोटे बच्चों के लिए यह स्थिति किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। अभिभावकों का कहना है कि हर सुबह और दोपहर बसों की आवाजाही के समय बच्चों को सड़क पार कराने में जान पर बन आती है।
इस समस्या को पहले भी नगर की सभासद सीमा जैन पत्नी विकल्प जैन ने गंभीरता से उठाया था। उन्होंने पालिकाध्यक्ष और संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर स्कूल गेट के पास बसों के ठहराव पर रोक लगाने तथा यातायात पुलिस कर्मियों की तैनाती की मांग की थी। पालिकाध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने भी रोडवेज डिपो के एआरएम को पत्र भेजकर कड़ी चेतावनी दी थी और त्वरित समाधान के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन और रोडवेज अधिकारी तब तक नहीं जागेंगे जब तक कोई बड़ी घटना नहीं हो जाती।
हंगामे के दौरान अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन को 10 दिन की समय-सीमा दी है। उनका कहना है कि यदि इस अवधि में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो सभी अभिभावक मिलकर स्कूल गेट के बाहर धरना देंगे और उच्चाधिकारियों से भी शिकायत करेंगे। अभिभावकों का साफ कहना है कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अभिभावकों का हंगामा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जिला प्रशासन, स्कूल प्रबंधन और रोडवेज अधिकारी समस्या से अवगत होने के बावजूद लापरवाह बने हुए हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि जब तक अवैध बस स्टैण्ड को हटाया नहीं जाता और यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जाती, तब तक बच्चों की सुरक्षा खतरे में बनी रहेगी।






