महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि मृतक डॉक्टर को अस्पताल में मेडिकल रिपोर्ट बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा था, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान थी।
मीडिया से बात करते हुए एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्होंने कई बार डॉक्टर के उत्पीड़न की शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। एक अन्य रिश्तेदार के अनुसार, “जब पुलिस ने घटना की जानकारी दी और हम अस्पताल पहुंचे, तो मैंने पोस्टमार्टम से पहले उसकी हथेली पर लिखा सुसाइड नोट देखा। मैंने पुलिस को बताया कि इस मामले की जांच फोरेंसिक विशेषज्ञों की मौजूदगी में होनी चाहिए।”
तीसरे रिश्तेदार ने खुलासा किया कि मृतक डॉक्टर को बार-बार पोस्टमार्टम ड्यूटी पर लगाया जाता था और राजनीतिक दबाव में उनसे रिपोर्ट बदलवाने की कोशिश की जाती थी
रिश्तेदारों ने यह भी आरोप लगाया कि एक मेडिकल अफसर और स्थानीय पुलिस सब-इंस्पेक्टर लगातार डॉक्टर को प्रताड़ित करते थे। परिजनों का कहना है कि डॉक्टर ने कई बार अधिकारियों को शिकायत दी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केवल गिरफ्तारी पर्याप्त नहीं है — “उन्हें फांसी दी जानी चाहिए ताकि डॉक्टर को न्याय मिल सके।”
इस मामले पर शिवसेना (UBT) के नेता अंबादास दानवे ने राज्य के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला बोला।
दानवे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा — “‘लाडकी बहन’ योजना से ज़्यादा ज़रूरत महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान देने की है। अगर फडणवीस के संरक्षण में ऐसे लोग महिलाओं को परेशान कर रहे हैं, तो यह गृह मंत्रालय की विफलता है।”
दानवे ने उन दो पीए (PA) की पहचान उजागर करने की भी मांग की, जिन्होंने कथित तौर पर महिला डॉक्टर को फोन पर एक सांसद से मिलवाया था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि डॉक्टर की शिकायत पर अस्पताल प्रशासन — डीन या सुपरिटेंडेंट — ने क्या कार्रवाई की?
साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की।
इस संवेदनशील घटना पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी भाजपा को घेरा। पार्टी की प्रवक्ता और पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने कहा कि सतारा की इस दुखद घटना पर भाजपा की चुप्पी शर्मनाक है।
उन्होंने सवाल किया — “अगर यही घटना पश्चिम बंगाल में होती, तो भाजपा और राष्ट्रीय मीडिया दोनों इसे बड़ा मुद्दा बना देते। क्या भाजपा अब राजनीतिक के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी कंगाल हो चुकी है?”





