मउ। जिले में अगस्त महीने में ही पांच लोगों को साइबर जालसाजों ने शिकार बनाया। जालसाज अब मोबाइल पर ई-चालान के नाम से मेसेज भेजकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। मउ जिले में हनी टन्न्ैप, डिजिटल अरेस्ट के बाद अब साइबर ठग लोगों को फंसाने के लिए नए हथकंडे के रूप में ई-चालान के रूप में एपीके फाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगस्त में पांच लोग साइबर ठगी के शिकार हुए हैं। इसमें एक वार्ड के सभासद के बड़े भाई भी शामिल हैं। इनके खाते से ठगों ने 18 लाख से अधिक की राशि 11 बार में निकाल ली। इस माह भी एक पीड़ित ने साइबर सेल में 10 हजार की ठगी की शिकायत दर्ज कराई है। यह पीड़ित निजामुद्दीनपुरा का रहने वाला है। नगर पालिका के वार्ड 14 के सभासद मुकेश सिंह के बड़े भाई भूपेंद्र सिंह ने केस दर्ज कराया है। इसमें बताया कि 19 अगस्त की शाम उनके मोबाइल पर ई-चालान के नाम से एक मेसेज आया। इसके बाद उन्होंने फाइल खोली। बताया कि उस दिन तो उनके खाते से कोई राशि नहीं निकली लेकिन 20 अगस्त की शाम पांच बजकर 28 मिनट पर उसके खाते से पहले एक लाख की राशि निकली। वह कुछ समझ पाते, जब तक दोबारा दो लाख रुपये निकल गए। लेकिन इस बीच ठगों ने 11 बार में 18 लाख 44 हजार रुपये निकाल लिए। इसी तरह से मधुबन के एक व्यकित ने भी ई चालान के नाम पर भेजी गई एपीके फाइल से झांसे में आकर एक लाख की राशि गंवा दी। पुलिस अधीक्षक इलामारन ने बताया कि एपीके फाइल का मतलब एंडन्न्ाइड पैकेज किट है। यह एक फाइल का प्रारूप है। इसका उपयोग एंडन्न्ायड आपरेटिंग सिस्टम में एप वितरित और इंस्टाल करने के लिए किया जाता है। अज्ञात नंबर या लिंक से आई एपीके फाइल को कभी भी न खोलें।

आवारा कुत्तों पर अधिकतर राज्यों ने नहीं दिए हलफनामे, मुख्य सचिवों को पेश होने का आदेश
नई दिल्ली – 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले पर सुनवाई की थी, तब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हलफनामे दाखिल करने के लिए कहा गया था। हालांकि, सिर्फ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली महानगरपालिका ने ही इस आदेश का पालन किया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के मामले स्वतः संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को होने वाली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया। दरअसल, कोर्ट ने पाया कि आवारा कुत्तों की समस्या पर नोटिस जारी किए जाने के बावजूद अधिकतर राज्यों ने अब तक हलफनामे





