चरथावल थाने में एफआईआर दर्ज करने में सामने आई बड़ी लापरवाही, एक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज हो गई दो एफआईआर
मुजफ्फरनगर। चरथावल थाने में एफआईआर दर्ज करने में हुई भारी गड़बड़ी ने पुलिस की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एक ही शिकायत पर दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर दिए गए, जिससे पुलिस की लापरवाही भी उजागर हो गई। पुलिस की इस गलती पर सवाल किए जाने पर अधिकारियों ने गलती मानते हुए एक एफआईआर निरस्त कराई, लेकिन इस घटना ने थाने की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मुकदमा एक महिला और उसके चार बच्चों के खिलाफ दर्ज किया गया है। पुलिस की इस लापरवाही पर लोगों के बीच यही चर्चा है कि किसी की एफआईआर दर्ज करने के लिए बाल की खाल निकालने वाली पुलिस ने यह अपराध कैसे कर दिया। एक व्यक्ति, एक शिकायत, एक ही धाराएं लेकिन मुकदमे दो दर्ज कर दिए गए, इसकी जवाबदेही भी सुनिश्चित होनी चाहिए।
थानों और चौकियों में पुलिस अधिकारी और कर्मचारी आम लोगों की सुनवाई कितनी संवेदनशीलता से करते हैं, ये कोर्ट और बड़े अधिकारियों की चौखट पर खड़े फरियादियों की लाइन को देखकर ही तय किया जा सकता हैै। थानों में एक एक शिकायत दर्ज कराने के लिए पीड़ितों ने न जाने क्या-क्या करना पड़ता है। सुनवाई न होने पर आला अफसर और कोर्ट ही उनका सहारा बचता है। हम खुद देख सकते हैं कि एसएसपी या दूसरे अधिकारियों के साथ ही कोर्ट के आदेशों पर कितने मुकदमे थानों में दर्ज किये जा रहे हैं। ये साबित करता है कि थानों और चौकियों पर सुनवाई शिथिल है।
ऐसे में एक अजीबोगरीब मामला सामना आया है, जो पुलिस की कार्यप्रणाली और सूझबूझ को भी कई गंभीर सवालों के घेरे में लाकर खड़ा करता है। मामला चरथावल थाने का है। यहां पर गांव नंगला राई निवासी 45 वर्षीय अनीस पुत्र रज्जाक ने पुलिस से शिकायत करते हुए अपनी तहरीर दी। अनीस की शिकायत पर यह तहरीर राजेश कुमार पुत्र स्व. रणजीत कुमार निवासी ग्राम अलमासपुर द्वारा लिखी गई। इसमें अनीस की ओर से आरोप लगाया गया है कि 13 सितम्बर की सुबह 8 से 9 बजे के बीच उसी के गांव के निवासी रिहाना उर्फ सल्लो पत्नी नफीस, उसकी पुत्रियों शहनाज और फरहाना तथा पुत्रों जावेद और फारूख ने उनके घर में घुसकर गाली गलौच करते हुए मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। पीड़ित की शिकायत पर एसएचओ चरथावल इंस्पेक्टर जसवीर सिंह के निर्देश पर महिला हैड कांस्टेबल नम्बर 866 कामिनी ने इसको बीएनएस की धारा 191-2, 333, 115-2, 352 और 351 के तहत एफआईआर नम्बर 232/25 के रूप में रोजनामचा यानि जनरल डायरी में दर्ज की और ऑनलाइन पोर्टल पर भी इसको जारी कर दिया गया।
यहां तक सभी कुछ ठीक रहा, लेकिन अनीस की इसी शिकायत पर इन्हीं आरोपियों के खिलाफ ऐसी ही धाराओं में दूसरी एफआईआर नम्बर 233/25 भी दर्ज कर ली गई और उसको ऑनलाइन जारी भी कर दिया गया। इस दूसरी एफआईआर में सभी कुछ वही रही, लेकिन एफआईआर दर्ज करने का समय बदला गया। एफआईआर नम्बर 232 में समय 15ः36 दिखाया गया है, जबकि एफआईआर नम्बर 233 में यह समय 16ः18 दर्शाया गया है। यह दूसरी एफआईआर भी महिला हैड कांस्टेबल कामिनी के द्वारा ही दर्ज की गई है। इस सम्बंध में एचएचओ चरथावल इंस्पेक्टर जसवीर सिंह का कहना है कि गलती से एक ही शिकायत की दो एफआईआर दर्ज हो गई हैं। कहा कि यह मानवीय भूल की वजह से हुआ और दूसरी एफआईआर सीसीटीएनएस पोर्टल पर अपने आप ही जम्प हो जाने से इसकी ऑनलाइन कॉपी भी जारी हो गई। इसकी जानकारी मिलने पर दूसरी एफआईआर को निरस्त करा दिया गया है। बता दें कि किसी भी मुकदमे के लिए एफआईआर नम्बर ही महत्ववूर्ण होता है और एफआईआर को निरस्त करने की भी पूरी प्रक्रिया का पालन करना होता है।