डॉ. संजीव बालियान ने केन्द्र में मंत्री और मुजफ्फरनगर से सांसद रहते हुए इन मुकदमों की पैरवी को मजबूत बनाने के लिए हमारा सहयोग किया
मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड की बरसी पर शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि सभा के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष तौर पर पूर्व मंत्री डॉ. संजीव बालियान के उन प्रयासों को सार्वजनिक करते हुए आभार जताया, जिसमें उनके द्वारा रामपुर तिराहा गोलीकांड के पीड़ितों को न्याय मिलने का रास्ता साफ हुआ।
मंच पर सभा के दौरान सीएम धामी ने कहा कि रामपुर तिराहा कांड घटना उत्तराखंड समेत देश के इतिहास में काला अध्याय है। सपा सरकार में यह क्रूर घटना घटी। इसके लिए जनता कभी उन्हें माफ नहीं करेगी। शांतिपूर्ण चल रहे राज्य आंदोलन को बर्बरता से कुचला गया। यह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी ज्यादा क्रूर थी। न्यायालय ने भी अपने फैसले के दौरान की गई टिप्पणी में इसे माना है। यह सपा सरकार की दमनकारी नीति का हिस्सा रही, इसकी शुरूआत एक सितम्बर 1992 को खटीमा और इसके अगले दिन मसूरी गोलीकांड से हो चुकी थी। 2 अक्टूबर 1994 की रात को मानवता की सारी हदों को तोड़ा गया। रामपुर तिराहा कांड पर निहत्थों पर गोलियां चलाई गई और महिलाओं की आबरू को लूटा गया। इसमें न्याय पाने के लिए लोग आस भी छोड़ चुके थे, लेकिन हमारी सरकार न्याय दिलाने के लिए कृत संकल्प थी। डॉ. संजीव बालियान ने केन्द्र में मंत्री और मुजफ्फरनगर से सांसद रहते हुए इन मुकदमों की पैरवी को मजबूत बनाने के लिए हमारा सहयोग किया और न्याय मिलने का रास्ता साफ हुआ।
पुष्कर धामी ने सख्त फैसले लेकर उत्तराखंड को चमकायाः संजीव बालियान
पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने अपने संबोधन में पुष्कर सिंह धामी की सरकार की उपलब्धियों को सराहनीय बताते हुए कहा कि शहादत से ही उत्तराखंड का जन्म हुआ है। ये तिराहा ही दोनों राज्यों को गहरे सम्बंध में बांधता है। इस कांड के बाद भी दोनों राज्यों में आपसी भाईचारे और लगाव का रिश्ता पहले की भांति ही मजबूत है। 31 साल पहले आज ही के दिन वो काला अध्याय लिखा गया, जो कोई याद करना नहीं चाहता। 30 साल तक पीड़ितों ने मुकदमे लड़े और अब न्याय मिलना प्रारम्भ हुआ, ये धामी सरकार की शहीदों के प्रति संकल्प को प्रदर्शित करता है। भयंकर आपदाओं के बावजूद भी उत्तराखंड विकास की राह पर खड़ा नजर आता है, यह धामी सरकार की नीति को साबित करता है। उन्होंने राज्य हित में सीएए, अवैध मजार, मजिस्द और मदरसे हटाने, रूढीवादी शिक्षा व्यवस्था को हटाने जैसे कई सख्त फैसले लेकर साबित किया है कि वो कर्म प्रधान नीति के पक्षधर हैं। उन्होंने शहीदों को न्याय दिलाने का काम किया है।