वाराणसी में शुक्रवार को देश के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने पहली बार आगमन किया। इस अवसर पर उन्होंने सिगरा क्षेत्र में निर्मित नाटकोट्टई धर्मशाला (सत्रम) का उद्घाटन किया, जो काशीवासियों के लिए एक नई सुविधा के रूप में तैयार की गई है।
कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे लगभग 25 वर्ष पूर्व, वर्ष 2000 में काशी आए थे। उन्होंने बताया कि उस समय वे मांसाहारी थे, लेकिन गंगा जी में स्नान करने के बाद उनके जीवन दृष्टिकोण में ऐसा परिवर्तन आया कि उन्होंने हमेशा के लिए शाकाहार अपनाया और मांस को त्याग दिया।
उन्होंने कहा कि “धर्म को कभी-कभी कठिन समयों से गुजरना पड़ता है, लेकिन अंततः उसकी विजय होती है। इस इमारत का निर्माण उसी सत्य का प्रमाण है। इसे बनाने के लिए अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा, फिर भी धर्म की जय हुई।”
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे। उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचकर गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया और विधिवत पूजा-अर्चना की। चार घंटे तक काशी में प्रवास के बाद उपराष्ट्रपति दिल्ली लौट गए।
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के दौरान उपराष्ट्रपति ने देश में शांति, समृद्धि और सर्वजन-कल्याण की कामना की। उन्होंने अन्नपूर्णा अम्मन देवी मंदिर में भी पूजा की और कहा कि 2021 में कनाडा से भारत वापस लाई गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति की वापसी एक ऐतिहासिक घटना है।
राधाकृष्णन ने कहा कि काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराना आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संबंध है। उन्होंने बताया कि 140 कमरों वाला यह 10 मंजिला सत्रम, काशी में समिति द्वारा निर्मित दूसरा भवन है, जिसका उद्देश्य श्रद्धालुओं की सेवा करना और युवाओं को इस पवित्र नगरी से जोड़ना है।
उन्होंने बताया कि जिस भूमि पर अब यह सत्रम स्थित है, वहां कभी अतिक्रमण था, जिसे राज्य सरकार के प्रयासों से पुनः प्राप्त किया गया। अब यह भवन तीर्थयात्रियों के लिए उत्कृष्ट सुविधाएं प्रदान करेगा और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।






