एसएसपी संजय वर्मा ने की सख्त कार्रवाई, प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए गए, एसपी देहात आदित्य बंसल कर रहे विस्तृत जांच
मुजफ्फरनगर। जनपद मुज़फ्फरनगर के चर्चित हुसैनपुर कांड ने जिले की पुलिस व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। आत्मदाह की कोशिश करने वाले युवक के वायरल वीडियो में लगाए गए गंभीर आरोपों ने पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवालों की झड़ी लगा दी। मामले की जांच में पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर एसएसपी ने कार्रवाई करते हुए दरोगा और दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया है।
बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र के गांव हुसैनपुर कलां में हुए युवक के आत्मदाह के प्रयास के कांड में आरोपों की आंच पुलिस विभाग तक पहुंची तो कई सवाल उठ खड़े हुए। इन सवालों और खाकी पर लग रहे उत्पीड़न, रिश्वतखोरी और गुंडागर्दी जैसे आरोपों पर एसएसपी संजय वर्मा ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी उपनिरीक्षक राम अवतार के साथ ही सिपाही भूपेंद्र सिंह और विकास कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई एसपी देहात आदित्य बंसल की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं।
बता दें कि घटना 19 नवंबर की है, जब बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र के गांव हुसैनपुर कलां निवासी अनस पुत्र मुरसलीन ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली थी। गंभीर रूप से झुलसे अनस को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है। घटना के अगले दिन बृहस्पतिवार को अनस का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उसने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस उसे पांच लाख रुपये देने के लिए दबाव बना रही थी। उसके अनुसार, 50 हजार रुपये उसको छोड़ने के नाम पर ले लिए गए थे और शेष रकम न देने पर पुलिस उसे फर्जी कार्रवाई में फंसाने तथा पैर में गोली मारने की धमकी दे रही थी। इसी कथित उत्पीड़न के चलते उसने आत्मदाह जैसा कठोर कदम उठा लिया।
वीडियो सामने आने के बाद एसएसपी संजय वर्मा ने तत्काल मामले की जांच एसपी देहात आदित्य बंसल को सौंपी। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि अनस गांव लुहसाना में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाता है। कुछ दिन पहले पुलिस ने चोरी के एक मामले में उसके परिचित लोनी निवासी एक युवक को पकड़ा था, इस युवक का अनस की दुकान पर आना-जाना था, जिसके बाद पूछताछ के लिए अनस को भी पुलिस चौकी ले जाया गया था। हालांकि अपर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर बाद में उसे छोड़ दिया गया। अनस ने अपनी वीडियो में आरोप लगाये थे कि पुलिस कर्मियों ने चौकी में उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया और पिटाई भी की गई, जिससे वो आहत था।
वहीं, घटना के एक दिन बाद अनस के पिता मुरसलीन का भी एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्होंने बेटे के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अनस मानसिक तनाव में था और किसी के बहकावे में आकर उसने झूठे आरोप लगाए। उन्होंने पुलिस द्वारा किसी प्रकार के दबाव या दुर्व्यवहार से इनकार किया। लेकिन मामला यहीं शांत नहीं हुआ। हालांकि इसके उलट एसपी देहात की जांच रिपोर्ट में पुलिस कर्मियों की कार्यशैली संदिग्ध पाई गई। रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब कर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में कई तथ्य ऐसे सामने आए हैं जो अनस के दावों की पुष्टि करते हैं। माना जा रहा है कि कुछ पुलिस कर्मियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अनस पर अनावश्यक दबाव बनाया, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गया और आत्मदाह की कोशिश की। एसएसपी संजय वर्मा ने साफ कहा है कि विभाग में किसी भी स्तर पर बदसलूकी, दबाव या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर संबंधित पुलिसकर्मियों पर कठोर विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।





