मुजफ्फरनगर। शनिवार सुबह जनपद में कश्मीर घाटी से एक और दुखद समाचार मिलने के बाद जनपद में शोक का वातावरण बन गया जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान मुजफ्फरनगर का एक और लाल शहीद हो गया है
जनपद के शामली रोड पर बुढाना मोड निवासी प्रशांत शर्मा के कश्मीर में शहीद होने का समाचार मिलने पर शोक छा गया प्रशांत शर्मा के परिजन मूल रूप से बागपत जनपद के गांव बिजरोल के निवासी हैं प्रशांत के पिता पिता श्री शीशपाल शर्मा सेना में नायक के पद से सेवा निवृत्त हुए थे। मूलतः बिजरोल बागपत के निवासी शीशपाल शर्मा सेना में नायक के पद से सेवा निवृत्त हुए थे। उनका परिवार काफी पहले यहां आ गया था और लंबे समय से बुढ़ाना मोड़ पर ही रह रहा था। प्रशांत को जांबाजी विरासत में मिली और पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए वे 2017 की भर्ती में सेना में चुने हुए थे। कल रात पुलवामा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड के बाद सेना ने वहां सर्च आॅपरेशन चलाया था। इस दौरान अपनी वीरता का परिचय देते हुए प्रशांत ने तीन आतंकियों को अपनी गोलियों से मौत के घाट उतार दिया। इसी दौरान आतंकियों द्वारा की गई जवाबी फायरिंग में प्रशांत को तीन गोलियां लगीं और वह गम्भीर रूप से घायल हो गए। इसी के चलते उन्होंने अपनी जान की शहादत दे दी।
परिजनों के अनुसार 22 वर्षीय शहीद प्रशांत शर्मा का 25 दिसंबर 98 को सेना नायक शीशपाल के परिवार में पैदा हुए और इसके बाद पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने सेना में भर्ती होने का फैला किया। अभी तक वह अविवाहित थे। इसी साल 6 दिसंबर को उनकी शादी होनी तय हुई थी। उनकी शादी की तैयारियां चल रही थीं और परिवार के लोग उनके छुट्टी लेकर घर आने का इंतजार कर रहे थे कि कल प्रशांत ने अपने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देकर शहीद का दर्जा पा लिया। प्रशांत के छोटे भाई निशांत शर्मा के अनुसार सेना के अधिकारियों ने परविार को इसकी सूचना देते हुए बताया कि प्रशांत ने बलिदान देने से पूर्व तीन आतंकियों को मुठभेड़ मे अपनी गोलियांे का निशाना बनाया। इसी दौरान आतंकवादियो की जवाबी गोलियां शहीद प्रशांत शर्मा के सीने पर लगी और उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
शहीद प्रशांत का का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया जा रहा है। इसके बाद कल सुबह उनका पार्थिव शरीर उनके आवास बुढाना मोड मुजफ्फरनगर पहुंचेगा। काली नदी श्मशान घाट पर ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद प्रशांत का अंतिम संस्कार किया जाएगा। परिजनों में उनके बलिदान पर शोक है, लेकिन इस बात का गर्व है कि उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया।