सपा के मैनपुरी मिशन में इकरा हसन की एंट्री
यूपी उपचुनाव में खतौली के बाद अब मैनपुरी में सपा हाईकमान ने सौंपी प्रचार की कमान करहल विधानसभा क्षेत्र में अखिलेश यादव की रैली में मौजूद रहकर डिंपल के लिए मांगे वोट
मुजफ्फरनगर। समाजवादी पार्टी के लिए यूपी उपचुनाव में सबसे बड़े मिशन के रूप में देखे जा रहे मैनपुरी लोकसभा के सियासी संग्राम में अब पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पूरी ताकत झौंक दी है। परिवार और पार्टी की सियासी विरासत की परम्परागत सीट मैनपुरी में भाजपा के द्वारा पेश की गयी सियासी चुनौती से पार पाने के लिए अखिलेश यादव ने अपने पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की इस सीट पर अपने पत्नी को सपा और रालोद गठबंधन में प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। मुलायम सिंह के निधन के बाद खाली इस सीट पर 5 दिसंबर को वोटिंग होने जा रही है। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में दिग्गज और भारतीय राजनीति के रिकार्डधारी नेता रहे मरहूम मुनव्वर हसन की बेटी चौ. इकरा मुनव्वर हसन को भी सपा ने मैनपुरी मिशन में एक बड़ा चेहरा बनाकर जनता के बीच लाने का काम किया है। इकरा को अखिलेश यादव ने विशेष निमंत्रण पर मैनपुरी में डिंपल यादव के चुनाव प्रचार के लिए बुलाया और साल 2022 के चुनाव में भाजपा और योगी सरकार की पूरी फौज को कैराना पलायन, दंगा और गुण्डागर्दी के आरोपों का जवाब अकेले देते हुए जनता का जनादेश पाने वाली इकरा भी मैनपुरी मिशन में अपने योगदान के लिए जुट गई हैं।
कैराना के बड़े सियासी दिग्गज हसन परिवार की सियासी विरासत की नई पीढ़ी के रूप में जनता के दिलों को छू लेने वाली इकरा मुनव्वर हसन ने मंगलवार को सपा के मैनपुरी मिशन में जोरदार एंट्री करते हुए मैनपुरी में सपा रालोद गठबंधन की प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए चुनाव प्रचार किया। इकरा हसन को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से मैनपुरी उपचुनाव के लिए बुलावा भेजा गया तो अभी तक खतौली उपचुनाव में गठबंधन धर्म निभा रही इकरा हसन सीधे मैनपुरी पहुंच गई। मंगलवार को इकरा हसन ने डिपंल यादव के समर्थन में मैनपुरी लोकसभा के अन्तर्गत करहल विधानसभा क्षेत्र के गांव रैहडापुरा ;रठेराद्ध में आयोजित पिछड़ा वर्ग की जनसभा में शिरकत की। मुख्य तौर पर इस जनसभा को अखिलेश यादव ने सम्बोधित किया और इस दौरान सपा के पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता और खासकर महिला नेत्रियों को बुलावा दिया गया था। इनमें इकरा हसन को भी विशेष तौर पर बुलाया गया। निमंत्रण मिला तो खतौली उपचुनाव में जुटीं इकरा आज सवेरे ही मैनपुरी के करहल पहुंच गईं।
यहां रठेरा गांव में आयेाजित सपा की जनसभा में मुख्य अतिथि अखिलेश यादव रहे। अखिलेश के सामने ही इकरा ने जनसभा को सम्बोधित किया और डिंपल यादव के लिए वोट मांगे। उनकी वाकपटुता और सियासी हुनर को अखिलेश यादव साल 2022 के चुनाव में बखूबी देख चुके हैं। कैराना की जीत ने भले ही नाहिद हसन को विधायक बनाकर विधानसभा में सपा के संख्याबल को मजबूती देने का काम किया, लेकिन इस जीत का सेहरा इकरा हसन के सिर ही बंधा, भाजपा की सरकार में नाहिद हसन नामांकन दाखिल करने के बाद जेल भेज दिये गये तो अपने भाई की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए इकरा हसन घर की दहलीज को पार करते हुए बहन का फर्ज अदा करने सियासी जमीं पर उतर आईं थी। अखिलेश यादव के द्वारा इकरा हसन को बुलावा देकर मैनपुरी बुलाना उनकी काबलियत का ही इनाम है। इकरा हसन की राजनीतिक सूझबूझ की बात की जाये तो यह सियासी हुनर उनको बाप-दादा की विरासत के रूप में रगों में दौड़ते खून के रूप में मिला है।
इकरा हसन खतौली सीट पर हो रहे उपचुनाव में भी गठबंधन धर्म निभाते हुए सक्रिय भूमिका निभा रही है। इस उपचुनाव में वह रालोद प्रत्याशी मदन भैया के लिए सपा की ओर से मुस्लिम चेहरा बनकर जनसमर्थन जुटाने का काम कर रही हैं। उनके द्वारा जनता के बीच अपने पिता मरहूम मुनव्वर हसन के कार्यों को सामने रखते हुए रालोद सपा गठबंधन की जीत कर्ज के तौर पर मांगी है। इकरा का यहां चुनाव प्रचार जनता को गठबंधन के साथ एक भावनात्मक रूप से जोड़ता भी नजर आ रहा है। मदन भैया के साथ ही जनता भी उनकी भाषण शैली और अपनी विजयी मुस्कान से दिल जीतकर राज करने वाली राजनीतिक कला के कायल नजर आ रहे हैं। इकरा का यही पालिटिकल स्टाइल जेल में रहते हुए सपा प्रत्याशी नाहिद हसन के खिलाफ भाजपा की पूरी फौज की हर सियासी जुगलबंदी पर भारी पड़ा। वहीं अखिलेश यादव ने इकरा हसन को मैनपुरी चुनाव प्रचार में आमंत्रण देकर एक बार फिर यह साबित कर दिखाया है कि हसन परिवार का सपा में क्या रुतबा और मर्तबा है।
मिशन 2024 में सपा का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरीं हैं इकरा मुनव्वर
मुजफ्फरनगर। इकरा मुनव्वर हसन सपा के मिशन-2024 में कैराना लोकसभा सीट से अपने बाप, दादा और मां की विरासत के लिए सपा का सबसे बड़ा चेहरा बन चुकी हैं। चर्चा है कि इकरा लोकसभा चुनाव में सपा की प्रत्याशी होंगी। इसके लिए उनकी तैयारी भी चल रही है। कैराना पूर्व सांसद स्व. हुकुम सिंह एवं मुनव्वर हसन के पिता अख्तर हसन के प्रभाव वाली सीट रही है। कैराना की केन्द्रीय और राज्य स्तरीय राजनीति पर इन्हीं दोनों परिवारों का कब्जा रहा है। गुर्जर समुदाय के हुकुम सिंह कांग्रेस, जनता पार्टी और भाजपा के टिकट पर इस सीट से सात बार विधायक रहे। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद 2014 में भाजपा से वह सांसद चुने गए। कैराना सीट पर बाबू हुकुम सिंह के अलावा मुनव्वर हसन के परिवार का ही दबदबा रहा। मुनव्वर हसन ने 44 साल की उम्र में चारों सदन- राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद का प्रतिनिधित्व किया और सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि पाने का एक रिकार्ड बनाया। दोनों परिवारों के बीच इस सीट पर सियासी उठा-पटक चलती रही है। हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई कैराना लोकसभा सीट पर साल 2018 में तबस्सुम हसन सांसद बनीं थी। इससे पहले सांसद बने हुकुम सिंह के कारण रिक्त कैराना विधानसभा के उपचुनाव में नाहिद जीते थे और तब से वर्तमान तक मुनव्वर हसन के पुत्र नाहिद हसन सपा से विधायक हैं।
2022 में जेल गये भाई नाहिद को प्रचार के दम पर बनाया विधायक, शामली की सबसे बड़ी जीत
मुजफ्फरनगर। इकरा हसन के परिवार में सियासी विरासत जुम्मा जुम्मा आठ दिन का खेल नहीं है। उनके दादा अख्तर हसन फिर पिता मुनव्वर हसन, मां तबस्सुम हसन के बाद भाई नाहिद हसन के साथ ही चचा अरशद और अनवर हसन इस विरासत के अलम्बरदार बने रहे हैं। दुनिया में आंख खोलने के साथ ही संसद और विधानसभा के चर्चा तथा चुनावी पर्चो को इकरा ने अपने घर आंगन में बखूबी देखे हैं। यही कारण रहा कि सियासी सक्रियता से दूर रहने वाली इकरा हसन के भाई की राजनीतिक विरासत पर जब खतरा मंडराया तो बहन इकरा ने अपने बाप दादा की राजनीतिक विरासत की चादर ओढ़कर सियासत के दहलीज पर दस्तक दी। इकरा ने वो प्रचार किया, जिसकी ताकत पर नाहिद हसन कैराना सीट से न केवल दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए, बल्कि इस जीत के साथ नाहिद की कैराना विधानसभा की चुनावी जंग में हैट्रिक थी। नाहिद ने 2012 में जीते हुकुम सिंह के साल 2014 में सांसद निर्वाचित होने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पुत्री मृगांका सिंह को हराया था। 2017 में नाहिद ने भाजपा की प्रचंड लहर में अपनी सीट कायम रखी और सपा के टिकट पर जीते तो 2022 में इकरा के चुनाव प्रचार के दम पर नाहिद लगातार तीसरी बार कैराना से विधायक बने।