प्रयागराज। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उनका शव सोमवार की दोपहर प्रयागराज के बाघंबरी मठ में फंदे से लटका मिला। कमरे से सुसाइड नोट भी मिला है। पुलिस का दावा है कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है। सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि के बारे में ज्यादा चर्चा है। सुसाइड नोट में उन्होंने एक तरह से मठ और आश्रम को लेकर वसीयत भी लिख दी है। पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट में उन्होंने आत्महत्या करने की बात लिखी है। हालांकि सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच होगी।
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मठ और आश्रम को लेकर आगे क्या करना है। किस तरह से व्यवस्था होगी। क्या करना है। एक तरह से सुसाइड नोट में उनका वसीयतनामा है। इसमें विस्तार से लिखा है कि किसे क्या देना है और किसके साथ क्या करना है। पुलिस के अनुसार सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने एक शिष्य से दुखी थे। पुलिस ने शिष्य का नाम तो नहीं बताया लेकिन सूत्रों के अनुसार उन्होंने आनंद गिरी का नाम लिखा है। उन्होंने लिखा है कि मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। अब समझ नहीं आ रहा कि क्या कर सकता हूं। उन्होंने बेहद मार्मिक बातें लिखी हैं। उन्होंने अपनी गद्दी किसे सौंपनी है इस बारें भी लिखा है।
सूत्रों की मानें तो सुसाइड नोट में आनंद गिरी का नाम लिखते हुए उन्होंने उससे परेशान होने की बात लिखी है। पिछले दिनों आनंद गिरी से उनका बड़ा विवाद हो गया था। आनंद गिरी को मठ से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि बाद में आनंद गिरी के माफी मांगने पर सुलह हो गया था।
नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट में आनंद गिरी को लेकर कई बातें लिखी गई हैं। आनंद गिरी पर परेशान करने की बातें तक लिखी है। वहीं आनंद गिरी ने एबीपी से बातचीत में कहा कि मैं फिलहाल हरिद्वार में हूं। वहां से प्रयागराज के लिए रवाना हो गया हूं। आनंद गिरी का कहना है कि ये आत्महत्या नहीं हत्या है। आनंदगिरी ने कहा कि मैं बाल्यकाल से उनका शिष्य रहा हूं। हम लोगों को अलग करने की लगातार कोशिश होती रही है। मेरे साथ उनका कोई विवाद नहीं था।
आनंद ने कहा कि कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे। मैं उसका विरोध करता था। उन्हीं लोगों ने हम लोगों के बीच अलगाव कराया। उन लोगों ने ही गुरुजी को पहले मुझसे दूर किया और अब उन्हें छीन लिया है। सनातन धर्म की यह सबसे बड़ी हानि है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
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