धर्म परिवर्तन अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब-तलब

मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सौरभ कुमार की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है।

Update: 2020-12-18 08:03 GMT

प्रयागराज। धर्म परिवर्तन को लेकर जारी अध्यादेश को चुनौती देने वाली प्रदेश सरकार की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।

मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सौरभ कुमार की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। इस जनहित याचिका में अध्यादेश को नैतिक व संवैधानिक रूप से अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया है कि इस कानून के तहत उत्पीड़न पर रोक लगे। याचिका के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31अक्तूबर को बयान दिया था कि उनकी सरकार धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून लाएगी। उनका मानना है कि मुसलिम द्वारा हिंदू लड़की से शादी, धर्म परिवर्तन कराने के षडयंत्र का हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि यह अध्यादेश सलामत अंसारी केस के फैसले के विपरीत है और जीवन के अधिकार अनुच्छेद 21का उल्लंघन करता है। इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए। फिलहाल कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत न देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ,धार्मिक सौहार्द कायम रखने व सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ रखने के लिए अध्यादेश जरूरी है। संविधान सम्मत है। याचिका की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। 

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