भाकियू ने बुलाई महापंचायत, फिर लटका चरथावल मार्ग का चौड़ीकरण
भाकियू नेता विकास शर्मा ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों पर लगाया मनमानी करने का आरोप, सिजरे से ज्यादा भूमि लेने पर मांगा मुआवजा
मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर-थानाभवन मार्ग का निर्माण करीब 14 महीनों से लटका हुआ है। इस मार्ग के चौड़ीकरण के लिए कई गांवों के ग्रामीणों द्वारा मकान और दुकान तोड़े जाने की कार्यवाही का विरोध लगातार किया जा रहा है। जिस कारण मार्ग निर्माण का कार्य समय से पूर्ण नहीं हो पा रहा है। लगातार नोटिस और चेतावनी के साथ ही बुल्डोजर चलाने की कार्यवाही के बावजूद भी ग्रामीण डटे हुए हैं। अब इस मामले में भारतीय किसान यूनियन और प्रभावित ग्रामों के प्रधानों ने भी मोर्चा खोल दिया है। भाकियू ने 19 जून को महापंचायत बुलाई है तो वहीं प्रधानों ने डीएम से ग्रामीणों की समस्याओं का निस्तारण करते हुए सहमति बनाने के बाद ही ध्वस्तीकरण की कार्यवाही कराने की मांग रखी है। ग्रामीण अब सिजरे से ज्यादा भूमि लेने पर मुआवजा मांग रहे हैं, जिसने जिला प्रशासन की मुसीबत को बढ़ा दिया है।
मुजफ्फरनगर-सहारनपुर मार्ग का चौड़ीकरण का कार्य एक बार फिर से अधर में लटकता हुआ नजर आ रहा है। इस मामले में पिछले दिनों पुलिस प्रशासन के अफसरों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर चौड़ीकरण में बाधा बन रहे अवैध निर्माण को बुल्डोजर से ध्वस्त कराने की कार्यवाही की गई थी, जिसका सभी ने मिलकर विरोध किया तो ये कार्यवाही ठण्डे बस्ते में पहुंच गई। इसी को लेकर ग्रामीणों ने उनकी अपनी भूमि पर किये गये निर्माण को भी अवैध बताकर तोड़ने के आरोप लगाते हुए रोष जताया और मार्ग के व्यापारियों ने भी अपनी दुकानों को बचाने के लिए नियमानुसार कार्यवाही करने के लिए आवाज बुलंद की। पिछले दिनों चरथावल पहुंचे सांसद हरेन्द्र मलिक के समक्ष भी यह मामला उठाया गया था। अब इस प्रकरण में भाकियू की एंट्री हो गई है।
शुक्रवार को दधेडू गांव में शहजाद प्रधान के घेर में क्षेत्र के ग्रामीणों की मीटिंग का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में भाकियू के युवा मंडल अध्यक्ष विकास शर्मा उपस्थित रहे। मीटिंग में मुजफ्फरनगर-थानाभवन मार्ग के चौड़ीकरण कार्य को लेकर अपनाई जा रही नीति पर रोष व्यक्त किया गया। यहां चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने हठधर्मी दिखाई तो ग्रामीण और व्यापारी सभी परिवारों को साथ लेकर सड़क पर आ जायेंगे। विकास शर्मा ने आरोप लगाते हुए बताया कि मुजफ्फरनगर-थानाभवन मार्ग के चौड़ीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग तानाशाही कर रहा है। हम विकास में बाधा नहीं चाहते हैं, लेकिन मनमर्जी से लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के द्वारा ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सिजरे से 20 से 30 मीटर तक ही भूमि है, लेकिन 40 मीटर और इससे ज्यादा तक निशान लगाये गये हैं। इनमें ग्रामीणों की भी अपनी भूमि आ रही है। इसके लिए कोई भी मुआवजा राशि तय नहीं करते हुए उनके निर्माण को तोड़ा जा रहा है। पीनना बाईपास पर सिजरे से अधिक जमीन लेने पर मुआवजा दिया गया है। भाकियू नेता विकास शर्मा ने कहा कि मनमर्जी नहीं चलने दी जायेगी। नियमानुसार काम किया जायेगा। आरोप है कि गुणवत्ता और मानकों से भी खिलवाड़ किया जा रहा है, सड़क जहां पर बनाई है, वो टूटने लगी है। जबरदस्ती मकान या दुकान नहीं तोड़ने दी जायेगी। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में चारों प्रभावित गांवों दधेड़ू, चरथावल देहात, बिरालसी और राई नगला के ग्रामीणों की 19 जून को महापंचायत बुलाई गई है। सहमति बनने से पहले जोर जबरदस्ती की गयी तो बुल्डोजर को हमारी छाती से गुजरकर जाना होगा। विकास शर्मा ने कहा कि एसडीएम साहिबा और जिले के अफसर ग्रामीणों की बात को सुनें और सकारात्मक माहौल में उसका निस्तारण कराने का काम किया जाये। यही चाहते हैं कि सिजरे से अलग जो भी जमीन सड़क में ली जायेगी, उसका नियमानुसार मुआवजा दिलाया जाये। इस दौरान मुख्य रूप से विकास शर्मा के साथ शहजाद प्रधान, ठाकुर ब्रजपाल सिंह, मुकेश राणा, कुलदीप राणा, नितिन कुमार, अभिषेक बंसल, आलम गीर प्रधान, दानिश प्रधान, राहुल त्यागी, नदीम त्यागी, अशोक मैम्बर आदि ग्रामीण मौजूद रहे।
सिजरा लेकर डीएम के पास पहुंचे ग्राम प्रधान, ईद तक टला मामला
मुजफ्फरनगर-थानाभवन मार्ग के चौड़ीकरण के लिए पैदा हो रहे गतिरोध को समाधान तक ले जाने का दबाव अब जिला प्रशासन पर बढ़ने लगा है। भाकियू ने मीटिंग कर महापंचायत का ऐलान कर दिया है तो वहीं शुक्रवार को क्षेत्र के प्रभावित गांवों के प्रधान सिजरा लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे और जिलाधिकारी अरविन्द मल्लप्पा बंगारी से मुलाकात करते हुए ग्रामीणों की समस्याओं को उठाया। प्रधानों ने कहा कि सिजरे में 20-30 मीटर तक ही सरकारी भूमि आ रही है, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने 40 मीटर तक निशान लगाकर निर्माण ध्वस्त करने का काम किया है। ग्रामीण अपनी भूमि भी देने को तैयार हैं, लेकिन ग्रामीण सिजरे से ज्यादा भूमि का मुआवजा मांग रहे हैं। प्रधानों ने कहा कि इससे पहले किसी भी कार्यवाही का ग्रामीण मुखर विरोध करेंगे। एसडीएम सदर निकिता शर्मा भी इस दौरान मौजूद रहीं, उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी अरविन्द मल्लप्पा बंगारी ने प्रधानों को आश्वासन दिया है कि ईद उल अजहा के त्यौहार के बाद इस प्रकरण को लेकर ग्रामीणों और प्रधानों के साथ मीटिंग कर समाधान का प्रयास किया जायेगा।
तीन जिले, चार विधानसभा और 110 गांव को जोड़ता है चरथावल मार्ग
मुजफ्फरनगर-थानाभवन मुख्य मार्ग के दिन संवरने की शुरूआत हुई तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि जल्द ही ये बदहाल सड़क संवर जायेगी, लेकिन 14 महीने के बाद भी यह निर्माण पूरा नहीं हो पा रहा है। इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने लोक निर्माण विभाग से प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भिजवाया था। इसके बाद इस मार्ग के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए शासन ने मंजूरी दी। केंद्रीय सड़क निधि से 19.855 किलोमीटर लंबा मार्ग सात मीटर के स्थान पर 10 मीटर चौड़ा बनाने का आदेश 31 मार्च को जारी कर दिया गया था। इसके साथ ही अपै्रल में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता नीरज सिंह के नेतृत्व में इस मार्ग के चौड़ीकरण के कार्य को प्रारम्भ कर दिया गया था। यह मार्ग तीन जिलों के करीब 110 गांवों को जोड़ता है। इसके साथ ही इसमें चार विधानसभा मुजफ्फरनगर, चरथावल, पुरकाजी और थानाभवन क्षेत्र आते हैं। शासन से 51.47 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है। इसको छह माह में पूर्ण करना था लेकिन 14 महीने बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है।