चिन्मय भारद्वाज...चिट्ठी न कोई संदेश...कहां तुम चले गए....

एम.जी. पब्लिक स्कूल के शिक्षक पराग शर्मा के पुत्र चिन्मय भारद्वाज की रस्म तेरहवीं में नम दिखी हर आंख, अश्रुपूर्ण माहौल में चिन्मय को दी गई श्रद्धांजलि, लद्दाख में हो गई थी चिन्मय की मौत;

Update: 2024-09-08 11:00 GMT

मुजफ्फरनगर। जिले के प्रतिष्ठित शिक्षक परिवार से ताल्लुक रखने वाले एम.जी. पब्लिक स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक के युवा पुत्र चिन्मय भारद्वाज उर्फ हनु की रविवार को रस्म तेरहवीं में शिक्षकों के साथ ही समाज के हर वर्ग के व्यक्ति ने पहुंचकर दिवंगत चिन्मय को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उसको याद किया और ईश्वर से प्रार्थना की। इस शोक सभा में परिजनों की ओर से बड़ी एलईडी स्क्रीन पर 27 वर्षीय चिन्मय भारद्वाज की मीठी यादों को कुछ फोटो और वीडियो के संकलन के रूप में सभी के समक्ष पेश किया गया। इस स्क्रीन पर जब चिन्मय की लेह के होटल की सीसीटीवी फुटेज को चलाया गया तो यहां पर उपस्थित परिजनों के साथ ही हर व्यक्ति की आंख नम हो गई।

शोक सभा में अपने दिवंगत पुत्र चिन्मय पर बनी वीडियो देखते शिक्षक पराग शर्मा।

शहर के मौहल्ला द्वारिकापुरी निवासी मोहन लाल शर्मा शहर के दीप चंद ग्रेन चैंबर इंटर कॉलेज में प्रवक्ता रहे हैं। वह मूल रूप से गाजियाबाद के मुरादनगर के रहने वाले थे। बरसों पूर्व वो अपने परिवार के साथ द्वारिकापुरी में बस गये। मोहन लाल के परिवार को जनपद के प्रतिष्ठित शिक्षक परिवार के रूप में पहचाना जाता है। उनके पुत्र पराग शर्मा सरकूलर रोड स्थित एम.जी. पब्लिक स्कूल में वरिष्ठ भौतिक विज्ञान के शिक्षक हैं तो पुत्रवधु प्रियंका शर्मा भोपा रोड स्थित एसडी पब्लिक स्कूल सीनिवर विंग में विज्ञान की शिक्षिका हैं।

शोक सभा में परिजनों ने चिन्मय की उस बुलेट बाइक को भी प्रदर्शित किया, जिस पर वो घूमने लेह गया था। उस बाइक पर चिन्मय का सारा सामान आज भी जस का तस बंधा हुआ था।

पराग शर्मा का 27 वर्षीय पुत्र चिन्मय भारद्वाज 22 अगस्त को अकेला अपनी बुलेट बाइक पर सवार होकर नोएडा के अपने दोस्तों के साथ लेह घूमने के लिए निकल गया था। लेह में पहुंचने के बाद चिन्मय ने एक होटल में रहने का ठिकाना बनाया और यहीं से वह घूमने के लिए जाता रहता था। 28 अगस्त बुधवार को परिजनों को सूचना मिली कि ऑक्सीजन की कमी के कारण चिन्यम की तबियत बिगड़ी और उसकी उपचार के दौरान मौत हो गयी। परिजनों ने वहां पहुंचकर चिन्यम के पार्थिव शरीर को लाकर यहां अगले दिन 29 अगस्त को नई मंडी श्मशान घाट पर बेहद गमगीन वातावरण में अंतिम संस्कार कर दिया।

रविवार को जानसठ रोड स्थित आशीर्वाद बैंकट हॉल में दिवंगत चिन्मय भारद्वाज की रस्म तेरहवीं की गई। इस दौरान परिवार, रिश्तेदार और एम.जी. पब्लिक स्कूल व एसडी पब्लिक स्कूल से शिक्षक शिक्षिकाएं, स्टाफ तथा अन्य लोग भी इस शोक सभा में चिन्मय भारद्वाज को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे। परिजनों का तो चिन्मय को याद कर बुरा हाल हो ही रहा था, लेकिन इस शोक सभा में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति रहा हो, जिसकी आंख में पानी नहीं छलक आया। परिवार की ओर से चिन्मय की हर याद को बखूबी संजोया गया। एक बड़ी एलईडी स्क्रीन के सहारे चिन्मय के 27 साल के जीवन को स्वीट मेमौरी-फर्स्ट राइड टू लास्ट राइड के रूप में प्रदर्शित किया गया। शोक सभा शुरू होने से पहले उनके पिता पराग शर्मा इस पूरे क्लिक को गुमशुम से खड़े होकर देखते नजर आये। इस वीडियो क्लिप में जब लेह के उस होटल का सीसीटीवी फुटेज आया, जिसमें चिन्मय की तबियत बिगड़ी और इस फुटेज में चिन्मय होटल के कर्मचारियों के बीच घिरा दिखा, ये कर्मचारी उसको अस्पताल ले जाने का प्रयास कर रहे थे, तो पिता की आंख भी नम हो गई। शोक सभा में चिन्यम की यादों से ओतप्रोत इस वीडियो ने सभी को भावुक कर दिया।

नोएडा की कंपनी में काम कर रहा था इंजीनियर चिन्मय

मुजफ्फरनगर के शिक्षक दंपती पराग शर्मा और प्रियंका शर्मा के इकलौते पुत्र चिन्मय भारद्वाज ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सरकुलर रोड स्थित एमजी पब्लिक स्कूल से की थी। इसके बाद चिन्यम ने बीटेक किया और करीब तीन माह पहले ही एक ट्रैक्टर कंपनी की डिजिटल मार्केटिंग में प्रशिक्षु के तौर पर नौकरी ज्वाइन की थी। वह वर्क फ्रॉम होम कर रहा था। कंपनी के नोएडा ऑफिस में उसकी रिपोर्टिंग थी। यहीं से चिन्मय का अपने दोस्तों के साथ लेह-लद्दाख घूमने का प्रोग्राम बना, हालांकि अंतिम दिन तक भी माता और पिता चिन्मय को बरसात के मौसम में लद्दाख जाने से रोकते रहे, लेकिन बेटे की जिद ने उनको मना लिया।

सामने बेटा था बेसुध, फिर भी शिक्षक पराग शर्मा ने पेश की मिसाल

28 अगस्त का वो दिन शिक्षक पराग शर्मा और उनके परिवार के लिए जिंदगी का सबसे बड़ा दुख लेकर आया था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी चर्चा रविवार को चिन्मय की शोक सभा में भी लोग करते हुए नजर आये। लेह से आई दुखद सूचना के बाद अपने बेटे की चिंता में पराग शर्मा अन्य परिजनों के साथ वहां पहुंचे थे, होटल में चिन्मय उनको बेसुध मिला था, लेकिन पराग शर्मा जिंदगी की सबसे मुश्किल घड़ी में समाज के लिए प्रेरक साबित हुए। जब वो लेह के होटल पहुंचे तो पता चला कि दूसरी मंजिल के कमरे में उनका बेटा चिन्मय चिंताजनक हालत में बेहोश है, लेकिन उसको उतारने के लिए होटल के पास स्ट्रेचर नहीं था। बेहद मुश्किल के साथ चिन्मय को नीचे उतारा गया और एम्बुलेंस तक पहुंचाया। इसके बाद शिक्षक पराग शर्मा ने रवाना होने से पहले एक नया स्ट्रेचर मंगाया और होटल को दान कर दिया। वो अस्पताल पहुंचे तो उपचार के दौरान चिन्मय ने दम तोड़ दिया। चिकित्सकों ने इतना ही बताया कि शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था। उन्होंने उस मुश्किल में भी समाज के सामने नया उदाहरण पेश किया, जिसमें लोगों को अक्सर टूटते हुए देखा जाता है। पराग शर्मा कहते हैं कि भगवान न करे कभी किसी और को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़े और वो मेरे जैसी परेशानी उठायें, इसलिए ही होटल को स्ट्रेचर दान करने का मन किया तो वो यह कर आये।

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