नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के महान नेता थेः अशोक बालियान

आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर ने सन् 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध को विफल करने के लिए अंग्रेजों के साथ साजिश भी रची थी।;

Update: 2024-01-23 10:58 GMT

मुजफ्फरनगर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। नेताजी के आन्दोलन से पहले हम भारत की आजादी के लिए सन 1857 की क्रांति की चर्चा करते है। सन 1857 में देश को आजाद कराने के लिए क्रांति हो रही थी और क्रांति के सैनिको के अनुरोध पर अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने क्रांति का नेतृत्व किया था, लेकिन बहादुर शाह जफर व उसका परिवार अंग्रेजों से भी मिला हुआ था। इस असफल क्रांति के बाद दिल्ली के लाल किले में अंग्रेजो ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को कैद कर लिया था। भारत के इतिहास का यह एक संयोग था कि विदेशी आक्रमणकारी हमलावरों के वंशज और आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर दिल्ली के लाल किले में लगी हुई अकबर, हुमांयू,जहांगीर की तस्वीरों को देख कर समय व्यतीत कर रहे थे।बेगम नूरजहाँ के चरणों को चूमकर जाने वाली यमुना नदी में अब दूसरे विदेशी शासक अंग्रेजों की सफेद मरमरी बदन की अंग्रेज मेंम स्नान करती थी।


आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर ने सन् 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध को विफल करने के लिए अंग्रेजों के साथ साजिश भी रची थी।उन्होंने कमांडर-इन-चीफ जनरल टी. रीड को एक संदेश भेजा था, जो दिल्ली को घेरने वाली ब्रिटिश इकाई का नेतृत्व कर रहे थे। बदले में जनरल टी. रीड ने यह संदेश पंजाब के मुख्य कमांडर जाॅन लाॅरेंस को दिया था। 4 जुलाई 1857 के इस संदेश में लिखा था कि बहादुर शाह जफर ने कहा है कि अगर हम उसके जीवन और पेंशन की गारंटी देंगे, तो वह हमारे लिए द्वार खोल देगा। राजा ने अंग्रेजों की इच्छानुसार किसी भी समय शहर के अन्य द्वार खोलने की व्यवस्था करने की भी पेशकश की थी। 19 अगस्त को मेरठ के कमिश्नर एचएच ग्रीथेड ने अपनी डायरी में यह बात दर्ज की थी कि मुझे राजकुमारों से पत्र मिलने शुरू हो गये है, जिसमें यह घोषणा की गई है कि वे हमसे प्यार से जुड़े हुए हैं, और वे केवल यह जानना चाहते हैं कि वे हमारे लिए क्या कर सकते हैं। हालाँकि, बहादुर शाह के विश्वासघात को अंजाम देने से पहले अंग्रेजों ने महान विद्रोह को बेरहमी से कुचल दिया था और उन्हें अपमानजनक रूप से आत्मसमर्पण करना पड़ा था। विलियम हाॅडसन ने अपनी किताब टूवेल इयर्स ऑफ  द सोलजर्स लाइफ इन इंडिया में एक प्रत्यक्षदर्शी ब्रिटिश अफसर द्वारा उनके भाई को लिखे पत्र के हवाले से लिखा है कि बहादुर शाह जफर के आत्मसमर्पन के समय मकबरे से बाहर आने वालों में सबसे आगे महारानी जीनत महल थी और उसके बाद पालकी में बादशाह बहादुर शाह जफर थे।

सन 1857 की क्रांति खत्म होने पर अंतिम मुगल बादशाह को लाल कघ्लिे से रंगून भेज दिया गया था। उसी रंगून में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के माध्यम से भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी थी। नेताजी सुभाष बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी, जिसे जर्मनी, जापान,फिलीपाइन, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी थी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये थे। विश्व इतिहास में आजाद हिंद फौज जैसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता,जहां 30-35 हजार युद्ध  बंदियों को संगठित, प्रशिक्षित कर अंग्रेजों को पराजित किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन एक विमान हादसे में 18 अगस्त 1945 को ताइवान में हुआ था और 23 अगस्त 1945 को टोकियो रेडियो ने बताया था कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदेई, पाइलेट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गम्भीर रूप से जल गये थे।उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया,जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। नेताजी के साथ ही विमान में रहने वाले कर्नल हबीबुर्रहमान के अनुसार उनका अन्तिम संस्कार ताइहोकू में ही कर दिया गया था। आज उनके जन्म दिवस पर हम उन्हें याद करते है। ;चित्र में यह नेता जी की अंतिम पिक्चर हैद्ध।

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