कोरोना के कारण स्कूलों के फिर बंद होने का खतरा?
प्राइवेट तथा मिशनरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने कुछ हद तक आॅनलाइन पढ़ाई जरूर की है। लेकिन सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को कुछ नहीं मिला है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे गरीब तबके के होते हैं। इनके पास मोबाइल, लैपटाॅप और कनेक्शन उपलब्ध नहीं हो पाया। इनके परिवारीजनों ने भी इनकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया।;
लखनऊ। कोरोना बढ़ने से स्कूल संचालक तथा बच्चों के अभिभावक दोनों चिंतित हैं। अब स्कूलों ने फिर से आॅनलाइन कक्षाएं चलाने पर विचार शुरू कर दिया है। अन एडेड स्कूल एसोसिएशन ने जहां 30 मार्च को इस मामले पर अहम बैठक बुलाई है वहीं मिशनरी स्कूलों ने जूनियर तक की कक्षाओं को आॅनलाइन ही चलाने की तैयारी की है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में भी अब फिर से आॅनलाइन घर की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है।
शहर के सिटी मांटेसरी स्कूल के शिक्षकों के पाॅजिटिव मिलने के बाद अब राजधानी के स्कूल संचालकों के साथ अभिभावकों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। स्कूल संचालक जहां फिर से आॅनलाइन कक्षाएं चलाने पर विचार कर रहे हैं वही सरकारी प्राइमरी स्कूलों में भी इसको लेकर मंथन शुरू हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में मीटिंग भी की है। जिसमें उन्होंने घर की पढ़ाई अभियान पर जोर दिया है। घर की पढ़ाई के लिए ई पाठशाला के साथ है व्हाट्सएप क्लास जारी रखने का निर्देश दिया गया है। इसी के साथ महानिदेशक ने बच्चों के अभिभावकों को व्हाट्सएप क्लास से जोड़े रखने को कहा है।
मिशनरी स्कूल एक से पांच अप्रैल के बीच में खुल रहे हैं। सेंट फ्रांसिस स्कूल में एक शिक्षक के पाॅजिटिव आने के बाद अब स्कूलों ने फिर से बच्चों की आॅनलाइन कक्षाएं चलाने की तैयारी कर ली है। हालांकि पहले सेंट फ्रांसिस ने पांच अप्रैल से आॅफलाइन कक्षाएं चलाने की बच्चों को जानकारी दी थी। लेकिन अब इसमें बदलाव की तैयारी है। इस संबंध में अभी अभिभावकों को कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं। सूत्रों ने बताया कि राजधानी के लगभग सभी मिशनरी स्कूलों ने कक्षा 8 तक के बच्चों की आॅनलाइन ही कक्षाएं चलाने की तैयारी की है।
प्राइवेट तथा मिशनरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने कुछ हद तक आॅनलाइन पढ़ाई जरूर की है। लेकिन सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को कुछ नहीं मिला है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे गरीब तबके के होते हैं। इनके पास मोबाइल, लैपटाॅप और कनेक्शन उपलब्ध नहीं हो पाया। इनके परिवारीजनों ने भी इनकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी 20 प्रतिशत तक की पहुंच का दावा करते हैं। लेकिन यह आंकड़े भी सही नहीं है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं हुई। अब अगर फिर से सरकारी स्कूलों में आॅनलाइन पढ़ाई शुरू हुई तो बच्चों का अगला सत्र भी खराब होना तय है।