मास्टर विजय सिंह के धरने के पच्चीस साल पूरे

इस दौर में सबसे बड़ा सवाल यह कि सरकारों का ध्यान भीड़ तंत्र व हिंसात्मक आंदोलनों पर ही जाता है अहिंसात्मक आंदोलन नजर अंदाज कर किए जा रही है जिसका उदाहरण मास्टर विजय सिंह का 25 साल का आंदोलन है आंदोलन यह धरना 26 फरवरी 1996 से जिलाधिकारी कार्यालय मुजफ्फरनगर से प्रारंभ हुआ था, जिसकी आज 26 फरवरी 2021 को रजत जयंती मन रही है।;

Update: 2021-02-25 07:01 GMT

मुजफ्फरनगर। भ्रष्टाचार व भू माफियाओं के विरुद्ध मास्टर विजय सिंह का धरने आज 25 वर्ष पूरे कर दुनिया का सबसे लंबा धरना (अहिंसात्मक सत्याग्रह ) बन गया है । इस दौर में सबसे बड़ा सवाल यह कि सरकारों का ध्यान भीड़ तंत्र व हिंसात्मक आंदोलनों पर ही जाता है अहिंसात्मक आंदोलन नजर अंदाज कर किए जा रही है जिसका उदाहरण मास्टर विजय सिंह का 25 साल का आंदोलन है आंदोलन यह धरना 26 फरवरी 1996 से जिलाधिकारी कार्यालय मुजफ्फरनगर से प्रारंभ हुआ था, जिसकी आज 26 फरवरी 2021 को रजत जयंती मन रही है। 25 साल के अंतराल में वर्तमान सरकार वे पूर्व सरकारे कई जांच करा चुकी है जांच रिपोर्टों में मास्टर विजय सिंह के आरोप सही पाए गए । 8 अक्टूबर 2019 को मास्टर विजय सिंह ने जनपद शामली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा में ज्ञापन दिया था जिस पर योगी ने अधिकारियों को निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे तथा इनके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह वह रक्षा मंत्री राजनाथ को भी ज्ञापन प्रेषित किए थे जिन पर जिलाधिकारी शामली ने उप जिला अधिकारी ऊन के द्वारा जांच की गई जांच रिपोर्टों में मास्टर विजय सिंह के आरोप सही पाए गए । बकौल मास्टर विजय सिंह भू माफिया जिस पार्टी की भी सरकार सत्ता में आती है उसी में चले जाते हैं फल स्वरूप राजनीतिक दबाव व भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी के कारण अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पाते जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है । गौरतलब है कि मास्टर विजय सिंह ने अपने गांव चैसाना की 4 हजार बीघा सार्वजनिक भूमि व अन्य सम्पत्ति (अनुमानित कीमत 600 करोड़ रूपये ) पर शोध कर जनहित में घोटाला खोला है तथा जनपद शामली व मुजफ्फरनगर की छह लाख बीघे सार्वजनिक भूमि (तालाब, वन, ग्राम सभा तथा अन्य भूमि) को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की मांग कर रहे हैं। दुखद यह है कि दबंगों व भूमाफियाओं ने गांव, टाउन एरिया व नगर पालिका में सार्वजनिक भूमियों पर अवैध कब्जा कर रखा है जिसे मुक्त कराने के लिए मास्टर विजय सिंह आन्दोलन चला रहे हैं। विभिन्न जांचों में मास्टर विजय सिंह के आरोप भी सही पाये गये जिसमें 300 बीघा भूमि प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं के अवैध कब्जे से मुक्त कराई गई। 3200 बीघा भूमि पर जाँच रिपोर्टांे में घोटाला साबित हो चुका है तथा 136 मुकदमे भी राजस्व अभिलेखों में हेरा-फेरी के दर्ज हुए तथा 81 हजार रुपये दण्ड स्वरूप राजकोष में जमा हुए। राजनीतिक हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार के कारण भूमाफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई जिसकी वजह से मास्टर विजय सिंह पिछले 25 सालों से जद्दोजहद कर रहे हैं।

धरना स्थानांतरण

18 सितम्बर, 2019 को जिलाधिकारी ने राजनीतिक दबाव मंे मास्टर जी के धरने को समाप्त कराने के लिए दबाव बनाया। जिस कारण मास्टर विजय सिंह ने कचहरी छोड़कर अपना धरना शिव चैक पर स्थानान्तिरत कर दिया था। मास्टर जी के विरुद्ध कचहरी में अन्डरवियर सुखाने का मुकदमा भी दर्ज किया गया था। जिसके विरुद्ध सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में व्यापक निंदा हुई थी है। बाद में प्रशासन की किरकिरी होने के उपरान्त पुलिस ने यह मुकदमा निरस्त कर दिया था।केन्द्रीय मंत्री डाॅ. संजीव बालियान व राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने मास्टर विजय सिंह के धरने पर आकर मास्टर विजय सिंह का समर्थन किया था तथा राज्यमंत्री विजय कश्यण को भूमि घोटाले प्रकरण पर निर्णय लेने के लिए कहा था। मामला अभी विचाराधीन

एकल व्यक्ति के धरने का बना विश्व रिकार्ड

यह 25 सालों का धरना देश व दुनिया का एकल व्यक्ति का सबसे लम्बा धरना घोषित हो चुका है जिसे लिम्का बुक आफ रिकार्डस, इंडिया बुक आफ रिकार्डस, एशिया बुक आफ रिकार्डस, मीरा सैल्स आफ द वर्ल्ड रिकार्डस, यूनिक रिकार्ड आफ दी वर्ल्डस ने सबसे लम्बा सत्याग्रह दर्ज किया है। मास्टर विजय सिंह शिव चैक पर 24 घंटे गर्मी, सर्दी, बरसात में महात्मा गांधी के सत्याग्रह से प्रेरित होकर धरनारत हैं।

मास्टर विजय सिंह की लखनऊ व दिल्ली पैदल यात्रा

दिल्ली व लखनऊ शासन व प्रशासन तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मास्टर विजय सिंह ने मुजफ्फरनगर से 2 अक्टूबर 2019 को शामली, बडौत व बागपत होते हुए दिल्ली राजघाट तक पैदल यात्रा कर अहिंसात्मक ढंग से उपवास किया और सार्वजनिक भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराने की मांग की। इससे पूर्व मास्टर विजय सिंह ने दिंनाक 30 मार्च 2012 को मुजफ्फरनगर से लखनऊ मा. मुख्यमंत्री निवास तक 19 दिन मे 600 कि0मी0 की पैदल यात्रा कर 28 अप्रैल 2012 को मा. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने की मांग की।

आन्दोलन क्यों ?

एक भूखे बच्चे की त्रासदी को देखकर मास्टर विजय सिंह के जीवन की दिशा ही बदल गई मास्टर जी ने बताया कि "वे स्कूल से अपने घर शाम 4 बजे घर आ रहे थे । रास्ते में उनकें आगे एक पाँच साल का बच्चा तथा उसकी माँ जा रही थी। बच्चा कह रहा था - माँ, कहीं से आटा ले आ। शाम को तू रोटी बना लेना, बहुत भूख लगी है। ये शब्द सुनकर वे बड़े द्रवित हुए तथा इससे पहले भी उन्होंने गरीबों के हकों को लुटते हुए देखा था। फलस्वरूप दुखी होने के कारण उन्होने इस्तीफा दे दिया और अपने गाँव की सार्वजनिक भूमि पर शोध किया। शोध में तथ्य पाये गये कि मेरे गांव में 4575 बीघा जमीन सार्वजनिक थी जिसमें 4 हजार भूमि पर भू-माफियाओं का अवैध कब्जा था। अतः मास्टर जी ने इसे अवैध कब्जे से मुक्त करा गरीबों में बांटने तथा विकास कार्यों में समायोजित करने के लिए भूमाफियाओं के विरुद्ध आन्दोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी, विनोबा भावे व जे.पी. को आदर्श मानकर चलने वाले मास्टर विजय सिंह को धरना देते हुए 25 वर्ष इो गए हैं।

धमकी व प्रलोभन

25 सालों के धरने के दौरान मास्टर विजय सिंह एवं उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिली, हमले हुए तथा उनके साथी धीरसिह हरिजन की फंासी लगाकर हत्या कर दी गयी तथा विजय सिंह के घर को आग लगा दी गई। परिवार, रिश्तेदार व सहयोगी का साथ अब छूट गया यानी माफियाओं के डर, व उत्पीडन के कारण सबने साथ छोड़ दिया हैं वे अकेले धरणारत है। भूमाफियाओ ने मास्टर जी को 4 हजार बीघे भूमि घोटले का 10 प्रतिशत 400 बीघा भूमि लेकर आन्दोलन खत्म करने व शिकायत वापस लेने के लिए प्रस्ताव किया था, जिसे उन्होंने जनहित व राष्ट्र के साथ गद्दारी मानते हुए ठुकरा दिया। 4000 बीघे सार्वजनिक भूमि से भू-माफिया लगभग 25 लाख रुपये मासिक की अवैध आय प्राप्त कर, राजकोष की निरन्तर हानि कर रहे हैं।

आर्थिक तंगी व असुरक्षा

25 सालों के लम्बे अन्तराल में मास्टर विजय सिंह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। आर्थिक तंगी व असुरक्षा के कारण प्रभावी पैरोकारी भी नहीं हो पा रही है। मास्टर विजय सिंह ने बताया कि ''जो पैत्रक सम्पत्ति 25 वर्ष पहले उनके तथा उनके परिवार के पास थी, आज भी वही है। वे आज लाखों रुपये का कर्जदार हो गए हैं।

देह दान

मास्टर विजय सिंह ने अपना सब कुछ समाज सेवा में लगाते हुए सन् 2013 में दिल्ली एम्स को अपनी देह दान कर दी है, ताकि मृत्यु के बाद किसी बीमार व पीडित व्यक्ति को उनके शरीर का कोई अंग काम आ सके।

आन्दोलन का उद्देश्य

मास्टर विजय सिंह के अनुसार, जिस दिन उनके आंदोलन को न्याय मिल गया, भूमि घोटाले में कार्यवाही हो गई तो उनका गाँव तो क्या, देश का एक भी गाँव ऐसा नहीं होगा, जहाँ पर कोई गरीब व भूमिहीन रहेगा तथा विकास कार्यों के लिए भी पर्याप्त भूमि होगी। चूँकि मास्टर विजय सिंह का मानना है कि "जनपद मुजफ्फरनगर व शामली में लगभग 6 लाख बीघा सरकारी भूमि अवैध कब्जे में है तथा प्रदेश व देश में करोड़ांे बीघे पर अवैध कब्जा है। यदि अवैध कब्जे से सरकारी भूमि मुक्त हो जाए तो गरीबों व विकास कार्यों के लिये भूमि पर्याप्त उपलब्ध हो जाएगी। भूमि अधिग्रहण करने की आवश्यकता भी नही पड़ेगी। यह आन्दोलन अहिंसात्मक है, भ्रष्टाचार के खिलाफ है, गांधीवादी तर्ज पर है। 25 सालों के दौरान मास्टर विजय सिंह ने कोई हिंसक प्रदर्शन या कानून का उल्लंघन नहीं किया है। उनके विरुद्ध कोई मुकद्मा दर्ज नहीं है तथा उनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं रहा है।

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