पिता दशरथ की अंत्येष्टि के बाद तीनों माताओं को लेकर भ्राता श्री राम को मनाने चित्रकूट पहुंचे भरत खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटे
मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर की रामलीला दर्शकों को खूब आकर्षित कर रही है। प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र पर आधारित श्री रामलीला मंचन के क्रम में शनिवार की रात्रि को आठवें दिन स्थानीय कलाकारों ने श्री राम-भरत मिलाप की लीला का मनमोहन और मार्मिक मंचन किया तो दर्शक कलाकारों के भावपूर्ण संवाद के साथ प्रस्तुत अभिनय को देखकर भाव-विभोर हो गए।
श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर के 50वें रामलीला महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विनय राणा एडवोकेट एवं दीपक चौधरी एडवोकेट, सुरेश भाटिया के अलावा अन्य विशिष्ट अतिथि मनीष चौधरी, सुरेन्द्र वर्मा, अमन जैन, शुभम जैन वहलाना स्टील नावला परिवार ने दीप प्रज्जवलित कर किया। रामलीला कमेटी के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, मनोज पाटिल द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह और मिष्ठान देकर सम्मान किया गया।
शनिवार की रामलीला मंचन का शुभारंभ अपनी ननिहाल कैकईपुर से भरतलाल और शत्रुघ्न के अयोध्या लौटने से होता है। अयोध्या में राजा दशरथ की मृत्यु होने के कारण चारों ओर शोक छाया है और राम, लक्ष्मण तथा मां सीता के अयोध्या से वन गमन के कारण प्रजा में भी मायूसी का आलम है। महल से लेकर झोपडी तक सभी जगह सूनापन और अंधेरा कायम है। राम, लक्ष्मण व सीता के वनवास व पिता दशरथ के मरण का समाचार पाकर वह बेहद दुखी हो जाते हैं।
अपनी माता कैकई और दासी मंथरा को खरी खोटी सुनाने के बाद सिंहासन पर बैठने से इंकार कर देते हैं। गुरू वशिष्ठ से कहते हैं कि मुझे अयोध्या का सिंहासन नहीं चाहिए। मेरा कल्याण तो भैया राम की सेवा में है। इसके बाद तीनों माताओं और लाव लश्कर लेकर व्याकुल भरत अपने अनुज शत्रुघ्न के साथ श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट पहुंचते हैं। यहां गंगा किनारे का दर्शन होता है। जहां पर राम सीता व लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। उनके पास एक भील आता है और भरत के सेना के साथ आने की जानकारी देता है।
लक्ष्मण को संशय होता है कि शायद वो यु( के लिए आ रहे हैं और वो उत्तेजित हो जाते हैं, राम उन्हें समझाते हैं। इस बीच भरत पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम को देखते ही उनसे लिपट जाते हैं। रोने लगते हैं। आग्रह करते हैं कि अयोध्या लौट चले। राम-भरत मिलाप के इस मार्मिक दृश्य को देखकर सभी की आंखें भर आती हैं। राम के इंकार के बाद गुरू वशिष्ठ कहते हैं कि आप अपनी चरणपादुका भरत को सौंप दें, जिन्हें राजगद्दी पर रखकर भरतलाल राज करेंगे। भरत श्रीराम की चरणपादुका माथे पर लगाते हैं, और शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी लेकर अयोध्या लौट चलते हैं। सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य रूप से रामलीला कमेटी के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, मनोज पाटिल, दिनेश जैन ठेकेदार, अनिल लोहिया, पीयूष शर्मा, राकेश मित्तल, विनोद गुप्ता, रामलीला निर्देशक पंकज शर्मा, नारायण ऐरन, विजय मित्तल, जितेन्द्र नामदेव और गोविंद शर्मा, ज्योति ऐरन, कन्दर्प ऐरन, अनिल गोयल, यश चौधरी, गौरव मित्तल, अंशुल गुप्ता, अमर चौधरी, प्रदीप बॉबी, हरिओम मास्टर, सोनू सिंह, राजेश वशिष्ठ, देवेन्द्र पतला, शिवांश ठाकुर, पंकज वशिष्ठ, स्पर्श गर्ग, यश गर्ग, कृष्णा नामदेव, विशाल शर्मा, उदय कौशिक, जय प्रकाश, लक्ष्य बंसल, अभिषेक कश्यप, जतिन गर्ग, विपुल मोहन, अज्जु जैन सहित अन्य कलाकार मौजूद रहे।