17 साल पहले सूदखोरों से लिया था चार लाख का कर्ज, ब्याजखोरों ने बना दिए 80 लाख, शिकायत के बाद भी पुलिस ने नहीं की मदद
मुजफ्फरनगर। जनपद में सूदखोरों की मनमानी और दबंगई ने एक व्यापारी की जान ले ली। महज चार लाख रुपये का कर्ज 17 साल में ब्याजखोरी की गुंडागर्दी के कारण 80 लाख कर दिया गया। इसे चुकाने के लिए सूदखोरों की धमकियों और दबाव से टूटे क्रांतिसेना संगठन की पूर्व नेत्री के पति रेडिमेड गारमेंट्स व्यापारी ने आखिरकार मोती झील में कूदकर मौत को गले लगा लिया। इस दर्दनाक घटना ने न केवल परिवार को सदमे में डाला है, बल्कि प्रशासन और कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मुजफ्फरनगर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र की साकेत कॉलोनी निवासी 50 वर्षीय विनोद बाठला ने गुरुवार सुबह मोती झील में कूदकर आत्महत्या कर ली। पेशे से रेडिमेड गारमेंट्स व्यापारी विनोद की झांसी रानी चौक पर नंगली गारमेंट्स के नाम से दुकान थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुबह लगभग साढ़े छह बजे वह घर से निकले और कुछ ही देर बाद झील में छलांग लगा दी। सूचना पर पहुँची पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया, लेकिन चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने बताया कि विनोद ने 17 साल पहले दुकान चलाने के लिए चार लाख रुपये का कर्ज लिया था। तब से वह ब्याज चुकाते आ रहे थे, मगर सूदखोरों की मनमानी ब्याज दरों ने कर्ज को 80 लाख तक पहुँचा दिया। बेटी नंदनी ने आरोप लगाया कि सूदखोर लगातार दुकान और घर पर आकर गाली-गलौज करते थे और उठाकर ले जाने की धमकी देते थे। इससे पिता गहरे तनाव में थे। परिवार का कहना है कि उन्होंने सूदखोरों की हरकतों के खिलाफ कई बार आवाज उठाई। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की गई और थाना सिविल लाइंस में भी गुहार लगाई गई, लेकिन कार्रवाई न होने से सूदखोरों के हौसले बुलंद होते गए। आरोप है कि धमकी और दबाव की वजह से ही विनोद ने मौत को गले लगाया।
विनोद अपने पीछे पत्नी कंचन, विवाहित बेटी नंदनी और बेटा पार्थ को छोड़ गए हैं। बेटे पार्थ के साथ वह दुकान संभाल रहे थे, मगर कारोबार मंदा होने से आर्थिक संकट गहराया। परिवार का कहना है कि अगर समय रहते पुलिस ने कार्रवाई की होती तो यह नौबत नहीं आती। घटना के बाद इलाके में शोक और गुस्से का माहौल है। शाम को भोपा रोड स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। स्वजन का कहना है कि वे शुक्रवार को सूदखोरों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराएंगे। इस घटना ने एक बार फिर ब्याजखोरी के खिलाफ कड़े कानून और सख्त कार्रवाई की माँग को तेज कर दिया है।