दस दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वैश्विक कृषि संकट, जलवायु परिवर्तन और श्रमिक शोषण जैसे मुद्दों पर होगी चर्चा
मुजफ्फरनगर। भारत के किसान आंदोलन की गूंज अब देश की सीमाओं से बाहर भी सुनाई देने लगी है। किसानों के हक और हितों की आवाज अब वैश्विक मंचों तक पहुँच रही है। इसी क्रम में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के एक प्रतिनिधिमंडल ने श्रीलंका में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने के लिए श्रीलंका की धरती पर कदम रखा है।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को श्रीलंका पहुँचा, जहाँ वह आगामी दस दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेगा। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत स्वयं इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। श्रीलंका पहुँचने के बाद प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ राकेश टिकैत ने अपने समूह की एक फोटो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर साझा की, जो तेजी से वायरल हो रही है।
इस पोस्ट में राकेश टिकैत ने यह जानकारी भी दी है कि यह सम्मेलन वैश्विक स्तर पर किसानों और श्रमिकों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को केंद्र में रखकर आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में दुनिया भर से किसान संगठनों, सामाजिक कार्यकतार्ओं, पर्यावरणविदों और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों की भागीदारी हो रही है। टिकैत ने बताया कि इस सम्मेलन में खाद्य उत्पादन की चुनौतियाँ, जलवायु परिवर्तन का खेती पर असर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दखलंदाजी, सांस्कृतिक पहचान की लड़ाई और श्रमिकों के शोषण जैसे गंभीर विषयों पर मंथन किया जाएगा। भाकियू की कोशिश रहेगी कि भारत में किसानों और खेतिहर मजदूरों के सामने आने वाली समस्याओं को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष पूरी मजबूती से रखा जाए। राकेश टिकैत ने कहा कि यह सम्मेलन केवल विचार-विमर्श का मंच नहीं, बल्कि वैश्विक किसान एकजुटता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। ऐसे समय में जब भारत सहित विश्वभर में कृषि संकट गहराता जा रहा है, भाकियू की यह भागीदारी न सिर्फ़ समस्याओं को उजागर करने का माध्यम है, बल्कि संभावित समाधान खोजने की दिशा में भी एक सार्थक प्रयास है।
भाकियू प्रतिनिधिमंडल के इस दौरे को संगठन की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब भाकियू अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुँचा हो, लेकिन इस बार प्रतिनिधिमंडल की सक्रिय भागीदारी और राकेश टिकैत की उपस्थिति ने इस यात्रा को विशेष महत्व दिया है। सम्मेलन में उठाए जाने वाले मुख्य मुद्दोें वैश्विक कृषि संकट और किसानों की आत्मनिर्भरता, जलवायु परिवर्तन और इसका खेती पर प्रभाव, कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा कृषि क्षेत्र में बढ़ती दखलंदाजी, पारंपरिक खेती बनाम आधुनिक तकनीकी हस्तक्षेप, श्रमिकों और खेतिहर मजदूरों के अधिकार, खाद्य सुरक्षा और उत्पादन नीति जैसे गंभीर विषयों पर चर्चा होगी। भाकियू की इस पहल को देशभर के किसान संगठनों ने सराहा है। सोशल मीडिया पर भी टिकैत और उनके दल को समर्थन और शुभकामनाओं की बाढ़ सी आ गई है।