रातों-रात पोस्ट पेड से प्री पेड हो रहे मीटर, उपभोक्ताओं को सूचना नहीं, अफसर भी शिकायत पर हो रहे हैरान
मुजफ्फरनगर। विद्युत विभाग की ओर से उपभोक्ताओं को स्मार्ट सुविधा देने के उद्देश्य से लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर अब आम लोगों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। बिना किसी पूर्व सूचना या उपभोक्ता की अनुमति के कई स्मार्ट मीटर पोस्टपेड से अचानक प्रीपेड में बदल दिए गए हैं, जिससे हजारों परिवारों को बिजली कटौती और तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कब आपके घर की बत्ती अचानक गुल हो जाये, पता भी नहीं चलेगा। ऐसे लोगों ने परेशानी में जब विद्युत विभाग के अफसरों से सम्पर्क किया तो वो भी इन शिकायतों पर हैरान हो गये, क्योंकि उनको भी नहीं पता कि स्मार्ट मीटर कब और किसके आदेश से पोस्टपेड से प्रीपेड हो रहे हैं। इनके पास केवल एक ही जवाब है कि लखनऊ से ही सभी कुछ किया जा रहा है, कब किसका मीटर प्रीपेड कर दिया जायेगा, पता नहीं। इसको फिर पोस्टपेड कराने का भी कोई विकल्प या व्यवस्था नहीं दी गई है।
जनपद में विद्युत विभाग का स्मार्ट मीटर अभियान लोगों की रातों की नींद उड़ाने के साथ ही जेब भी ढीली करने वाला साबित हो रहा है। पहले पैसे और फिर बिजली के सि(ांत पर चल रहे ये स्मार्ट मीटर गंभीर परेशानी का कारण बन गये हैं। अभी तक इन मीटरों से ज्यादा बिल आने और दूसरी शिकायतों से ही विभाग का सिरदर्द हो रहा था, लेकिन इसमें ताजा मामला यह सामने आ रहा है किसी भी उपभोक्ता का स्मार्ट मीटर बिना सूचना के ही प्रीपेड में बदल दिए गये हैं। उनको पता तब चला जबकि अचानक ही बैलेंस पूरा होने पर मीटर से विद्युत सप्लाई बंद हो गई। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि उनके घरों में वर्षों से पोस्टपेड मीटर लगे हुए थे, जिनके बिल नियमतः हर महीने आ रहे थे। लेकिन हाल ही में बिना किसी मैसेज, कॉल या नोटिस के उनका मीटर प्रीपेड में बदल दिया गया। जैसे ही बैलेंस खत्म हुआ, बिजली आपूर्ति स्वतः बंद हो गई। कई लोग रात के समय अंधेरे में फंस गए और उन्हें समझ ही नहीं आया कि अचानक बिजली क्यों चली गई। हैरानी की बात यह है कि इस योजना के संचालन से जुड़े कई विभागीय अधिकारी भी इस बदलाव की प्रक्रिया और इसकी जानकारी से अनभिज्ञ हैं। जब कुछ उपभोक्ताओं ने बिजली विभाग के बड़े अफसरों के कार्यालय में संपर्क किया, तो वो भी उलझन में नजर आए। एक अधिकारी का स्पष्ट कहना है कि ऊपर से ऑटोमेटिक अपडेट हो रहे हैं। हमें भी मीटर के पोस्टपेड से प्रीपेड में ट्रांसफर की जानकारी पहले से नहीं मिलती। उपभोक्ताओं के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है।
उधर उपभोक्ताओं को भारी समस्या से जूझना पड़ रहा है। स्मार्ट मीटर योजना में पहले से ही नेटवर्क की समस्या, ऐप में लॉगिन न होना, रिचार्ज करने पर बैलेंस अपडेट न होना जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं। अब बिना सहमति प्रीपेड में ट्रांजिशन से यह योजना आम लोगों की परेशानियों का कारण बनती जा रही है। उपभोक्ताओं ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताई और सरकार से मांग की है कि उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटर का सिस्टम न बदला जाए, पोस्टपेड या प्रीपेड का विकल्प उपभोक्ता को दिया जाए, तकनीकी हेल्पलाइन को मजबूत किया जाए। बता दें कि स्मार्ट मीटर योजना एक अच्छी पहल हो सकती है, लेकिन जिस तरह से इसे लागू किया जा रहा है, उससे उपभोक्ता न केवल असहज हैं, बल्कि कई बार बिना गलती के उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जवाबदेही और पारदर्शिता के बिना कोई भी स्मार्ट योजना फेल ही मानी जाएगी।
50 प्रतिशत स्मार्ट मीटर स्वतः हो गये प्रीपेड
मुजफ्फरनगर। दैनिक नयन जागृति टीम ने स्मार्ट मीटर योजना में उपभोक्ताओं की परेशानियों के बीच निकल रहे कुछ प्रश्नों का हल तलाशने के लिए विद्युत विभाग के मुख्य अभियंता विनोद कुमार गुप्ता से उनके कार्यालय में भेंट की। इसमें सबसे पहला सवाल यही था कि अचानक ही स्मार्ट मीटर पोस्टपेड से प्रीपेड में बदल रहे हैं, इसमें उपभोक्ताओं से पूर्व स्वीकृति भी नहीं ली जा रही है। चीफ इंजीनियर का यही कहना था कि उपभोक्ताओं से ही ऐसी जानकारी मिली है, विभागीय स्तर पर उनके पास भी इसके सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है, जो कुछ हो रहा है वो सीधे लखनऊ से ही किया जा रहा है। उनका कहना है कि उनके सर्किल के दोनों जनपद मुजफ्फरनगर और शामली में अभी तक लगे स्मार्ट मीटरों में से करीब 50 प्रतिशत मीटर प्रीपेड कर दिये गये हैं। इनमें घरेलू और कामर्शियल यहां तक की औद्योगिक श्रेणी के भी उपभोक्ता शामिल हैं। इसमें अब पहले उपभोक्ताओं का रिचार्ज कराने के लिए बैलेंस डालना पड़ेगा और फिर उसको आपूर्ति मिलेगी। सीई विनोद गुप्ता ने बताया कि दोनों जनपदों में 6.54 हजार उपभोक्ता हैं, इनमें से 125790 उपभोक्ताओं के यहां ही स्मार्ट मीटर लग पाये हैं। मार्च 2025 तक समय सीमा निर्धारित की गई थी, अब मार्च 2026 तक कार्य पूरा करना है।
स्मार्ट मीटर से विद्युत विभाग को चार करोड़ की राजस्व क्षति
मुजफ्फरनगर। स्मार्ट मीटर योजना उपभोक्ताओं के लिए तो परेशानी का सबब बन ही रही है, शुरूआती चरण में यह विद्युत विभाग के लिए भी घाटे का सौदा साबित हो रही है। इस योजना में स्मार्ट मीटर के पोस्टपेड से प्रीपेड होते ही उपभोक्ता की विद्युत विभाग के पास जमा सिक्योरिटी मनी को भी समायोजित किया जा रहा है। इस कारण विभाग को करीब चार करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हुई है, जो पैसा विभाग के पास जमा था, वो उपभोक्ता को डिलीवर करना पड़ा है। चीफ इंजीनियर विनोद गुप्ता ने कहा कि स्मार्ट मीटर पीएम सूर्य घर योजना से जोड़ा गया है। 72 हजार रुपये में पूरा शेटअप लग रहा है और उपभोक्ता इसका लाभ भी उठा रहे हैं। अधिक बिजली बनने पर वो विभाग के पास आ रही है, जो उपभोक्ता के बिल में समायोजित हो रही है। कहना है कि चार पांच महीने में ही 72 हजार रुपये का निवेश उपभोक्ता को रिकवर हो रहा है। यह योजना केवल एलएमवी-5 ;किसानोंद्ध और एलएमवी-1 ;घरेलूद्ध श्रेणी के उपभोक्ताओं को दी जा रही है। उनका कहना है कि विभाग ने एक एप बनाया है, जो मोबाइल पर डाउनलोड कर उपभोक्ता अपने मीटर की पूरी मानीटरिंग कर सकता है, समय समय पर उपभोक्ता को बैलेंस के सम्बंध में भी मैसेज से जानकारी देने की व्यवस्था है, ताकि वो समय पर रिचार्ज करा ले। उनका कहना है कि ये भारत सरकार की योजना है और विभाग को भी ग्रिड से बिजली एडवांस पैमेंट पर मिल रही है।