अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत जल्द ही रूस से तेल खरीद बंद कर देगा। ट्रंप के मुताबिक, “यह तुरंत नहीं होगा, पर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्दी ही पूरी हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि यदि भारत रूस से तेल आयात रोक देता है तो रूस-यूक्रेन युद्ध में संघर्षविराम कराने की कोशिशों को बल मिलेगा। ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि शांति स्थापित होने के बाद भारत चाहे तो फिर से रूस से तेल खरीद सकता है। हालांकि, इस पर भारत सरकार की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है।
भारत ने पहले भी अमेरिकी दबाव और टैरिफ चेतावनियों के बावजूद रूस से तेल खरीद जारी रखी थी। दिल्ली हमेशा से इसे अपनी ‘निष्पक्ष ऊर्जा नीति’ का हिस्सा बताती रही है। ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच रूस से कच्चे तेल के आयात में करीब 8.4% की कमी आई है। सितंबर में भारत ने औसतन 45 लाख बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा — यह अगस्त की तुलना में 70 हजार बैरल अधिक है, लेकिन 2024 की समान अवधि से कुछ कम। सितंबर 2025 में रूस से तेल आयात की कुल कीमत ₹25,597 करोड़ (लगभग 2.5 बिलियन डॉलर) रही। इससे भारत अब भी रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार बना हुआ है। सितंबर में भारत के कुल आयात का 34% हिस्सा रूस से आया, जबकि जून में यह हिस्सा 36% था। सरकारी ऊर्जा कंपनियों ने जून से सितंबर के बीच खरीद में 45% की कटौती की है। इसके पीछे अमेरिका और पश्चिम एशिया से नए तेल समझौते प्रमुख कारण माने जा रहे हैं — न कि ट्रंप के दबाव या संभावित जुर्माने।






