KISAN ANDOLAN-पंजाब से केंद्र सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोहः अशोक बालियान

पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन ने पंजाब और हरियाणा से शुरू हुए किसान आंदोलन पर उठाये सवाल

Update: 2024-02-22 05:03 GMT

मुजफ्फरनगर। किसान नेता अशोक बालियान ने कहा कि पंजाब राज्य से चले किसान आन्दोलन का असली मकसद केंद्र सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह करना होता जा रहा है। इस आन्दोलन में शामिल शक्तियों का एजेंडा विशुद्ध रूप से हिंदुत्व की एकता के को रोकने का एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है। हिन्दू समाज में जाट और सिक्ख उत्तर भारत में प्रमुख जातियां हैं। इस आन्दोलन में शामिल कुछ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों चाहती है कि आन्दोलन में सरकार इनका बर्बरता पूर्वक दमन करे, ताकि जाट समाज और सिख समाज सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर सके।

पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन किसान चिंतक अशोक बालियान ने किसानों के आंदोलन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तथाकथित किसान आंदोलन का एक उद्देश्य विपक्षी पार्टियों के हाथों की कठपुतली बनकर मोदी सरकार को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रोकना व देश मे अनावश्यक अशांति का वातावरण उत्पन्न करना भी है। इस आन्दोलन एक भीड़ ऐसी भी है, जो अपने आपको देश और संविधान से भी ऊपर समझती हैं। वह सोचती हैं कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।


केंद्रीय कृषि मन्त्री अर्जुन मुंडा द्वारा किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करना उचित कदम है। क्योकि बातचीत से ही समस्या का समाधान निकलता है। लेकिन पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंथेर का कहना है कि सरकार वह मांग माने, जो हम कह रहे है। देश इस तरह नहीं चल सकता है कि कोई भी गुट आकर कहने लगे कि सरकार वह मांग माने, जो वे कह रहे है। भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल के एक वीडियो के सामने आने के बाद अब इस आंदोलन पर सवाल खड़े होने लगे थे। दरअसल, जगजीत सिंह डल्लेवाल एक वीडियो में कहते हुए दिख रहे हैं कि राम मंदिर के बनने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बहुत तेजी बढ़ गई है। अब उसको नीचे लेकर आना होगा। विदेशों में बैठे कुछ चरमपन्थी सिख पंजाब के युवाओं में अलगाववाद की भावना भरने का प्रयास भी कर रहे है, जो बहुत गम्भीर बात है।


उनका कहना है कि पंजाब के भारी संख्या में किसानों का पुलिस बेटिकेट हटाने के लिए भारी उपकरणों के साथ दिल्ली आने पर उन्हें रोकने के लिए दिल्ली व हरियाणा सरकार ने पंजाब सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन पंजाब सरकार ने इस पर कोई उचित कार्यवाही नहीं की है। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हुए किसानों के पास ऐसे तमाम संसाधन मौजूद हैं, जिनकी मदद से पुलिस का मुकाबला किया जा सकता है। ये संसाधन पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से बॉर्डर तक कैसे पहुंचे। किसानों ने एकाएक ये आंदोलन शुरू नहीं किया है। इसके लिए पहले से ही कॉल की गई थी, उसके बावजूद किसानों को शंभू बॉर्डर तक पहुंचने से क्यों नहीं रोका गया। 20 फरवरी को जेसीबी और दूसरे भारी उपकरण भी किसानों के बीच पहुंच चुके हैं। केंद्र सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए कि यदि पंजाब राज्य में ऐसी वस्तुगत स्थितियाँ मौजूद है, जो राज्य में कानून के शासन की प्रक्रिया को असंभव बनाती हैं, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाने पर विचार होना चाहिए। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन का आंदोलनकारी किसान नेताओं कहना है कि वे आन्दोलन के हिंसक होने की स्थिति का आंकलन करे व् आन्दोलन को समाप्त कर वार्ता से समाधान करें। हम अन्य किसान संगठनों व् किसानों से कहना चाहते है कि वे इस तरह के आन्दोलन का समर्थन कदापि न करे और इनसे दूरी बनाये।

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