गरीबों के लिए वरदान बनी मेरठ में सब की रसोई
महंगाई चाहे जितनी बढ़े, लेकिन इस संस्था में भोजन का रेट पिछले साढ़े तीन साल में पांच रुपए से छह रुपए नहीं हुआ। सब की रसोईं के ग्यारह काउंटर अलग-अलग क्षेत्रों में खोले गए हैं।;
मेरठ। वैसे तो चुनावों में तमाम राजनीतिक दलों में सस्ता खाना गरीबों को देने के दावों और घोेषणाओं का फैशन हो गया है। इसका उद्देश्य चुनावी लाभ होता है, लेकिन कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो लाभ के बजाय सेवा के लिए यह कार्य कर रही हैं।
एक और तमाम होटलों और ढाबों में जब लोगों से खाने के नाम पर अनापशनाप पैसा उगाहा जा रहा है, ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बहुत ही कम पैसे में लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं। मेरठ में ऐसी ही एक संस्था है, जो लोगों को पांच रुपए में भरपेट भोजन उपलब्ध करवा रही है। सब की रसोईंश् नाम की संस्था पिछले साढ़े तीन साल से यह नेक काम कर रही है। यहां रोज काउंटर पर इतनी भीड़ लगती है मानों कोई मेला लगा हो। क्या रिक्शेवाले, क्या ऑटोवाले, क्या स्टूडेंट, क्या गरीब यहां सभी तरह के लोग खाना खाने आते हैं. दूसरी खासियत यह भी है कि लोग यहां पर खाने के स्वाद के दीवाने हैं। इस संस्था ने लॉकडाउन में भी समाजसेवा जारी रखी थी, लॉकडाउन के दौरान यहां रोजाना 2000 लोगों को भोजन के पैकेट बांटे जाते थे। महंगाई चाहे जितनी बढ़े, लेकिन इस संस्था में भोजन का रेट पिछले साढ़े तीन साल में पांच रुपए से छह रुपए नहीं हुआ। सब की रसोईं के ग्यारह काउंटर अलग-अलग क्षेत्रों में खोले गए हैं। संस्था के लोगों का दावा है कि रोजाना यहां हजारों लोग खाना खाने आते हैं. यह संस्था लॉकडाउन के दौरान भी जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराती थी।