पति की जाति का सर्टिफिकेट लगाने पर शिक्षका को नियुक्ति से बाहर करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

अधिवक्ता का कहना था कि याची ओबीसी वर्ग की है और उसने ओबीसी से ही शादी की है। ऐसे में उसे ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

Update: 2021-02-05 08:11 GMT

प्रयागराज। 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित महिला ओबीसी अभ्यर्थी द्वारा पति की जाति का प्रमाण पत्र लगाने पर उसे नियुक्ति से बाहर करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

मथुरा की सविता की याचिका पर न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि था याची का 69 हजार सहायक अध्यापक में चयन हो गया। 15 अप्रैल 20 को उसकी काउंसलिंग हो गई और उसे मथुरा में विद्यालय आवंटन भी कर दिया गया। बाद में चार दिसंबर 2020 को जारी शासनादेश के क्लाज 3(2) का हवाला देते हुए याची की नियुक्ति इस आधार पर निरस्त कर दी गई कि उसने अपने पति की जाति का प्रमाणपत्र लगाया है। अधिवक्ता का कहना था कि याची ओबीसी वर्ग की है और उसने ओबीसी से ही शादी की है। ऐसे में उसे ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। याची का कहना है कि उसके पति भी अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं इसलिए उनकी जाति का प्रमाणपत्र लगाने से उसे आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। याची का यह भी कहना था कि उसका गुणांक सामान्य वर्ग की अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी से अधिक है। इस आधार पर वह सामान्य वर्ग में चयनित किए जाने योग्य है इसलिए उसकी नियुक्ति रद्द नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने इस मामले में परिषद को जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

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