मंत्री कपिल ने कहा- प्रदेश के सभी देवालयों में अब शुरू होगा श्रीरामायण अखंड पाठ, यह कदम सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक मजबूत पहल
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश की राजनीति और सांस्कृतिक चेतना में एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। प्रदेश सरकार ने महर्षि वाल्मीकि जयंती को राजकीय अवकाश घोषित कर समाज के हर वर्ग को उनके आदर्शों और शिक्षाओं से जोड़ने की दिशा में एक प्रशंसनीय पहल की है। इस निर्णय का स्वागत न केवल धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा किया जा रहा है, बल्कि इसे एक समावेशी और प्रेरणात्मक निर्णय के रूप में भी देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार में व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 7 अक्टूबर 2025 को महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करना एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक कदम है। मंत्री कपिल देव ने इस निर्णय को महर्षि वाल्मीकि जी के अमर योगदान को भाजपा सरकार की एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि बताया और कहा कि इससे समाज के सभी वर्गों को उनके आदर्शों, जीवन मूल्य और साहित्यिक धरोहर से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने बताया कि वाल्मीकि जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किये जाने के साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के सभी देवालयों में श्रीरामायण का अखंड पाठ कराने का निर्देश देना भी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंत्री कपिल देव ने यह भी बताया कि वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे संपर्क कर इस मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था। समाज की भावनाओं को देखते हुए उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री को 21 सितम्बर को औपचारिक पत्र भेजकर यह आग्रह किया था कि इस विषय पर जनभावनाओं का सम्मान करते हुए उचित निर्णय लिया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी बात का मान रखते हुए घोषणा कर समाज को भी हर्षित किया है। आज यह देखकर अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमारी सामूहिक भावनाएं साकार हो चुकी हैं। मैं इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ और समस्त वाल्मीकि समाज को बधाई देता हूँ। कहा कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय के बाद प्रदेशभर के वाल्मीकि समाज में हर्ष और गर्व की लहर है। राजकीय अवकाश की यह घोषणा एक ओर जहां महर्षि वाल्मीकि के प्रति सम्मान व्यक्त करती है, वहीं दूसरी ओर समाज को उनके नैतिक मूल्यों, साहित्यिक योगदान और धर्मग्रंथों से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करती है। सरकार का यह कदम सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक मजबूत पहल है।