केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में अहम बैठक आज, नए उत्सर्जन मानक बने चिंता का विषय
मुजफ्फरनगर। भारत में कृषि क्षेत्र की रीढ़ माने जाने वाले ट्रैक्टरों से जुड़े उत्सर्जन मानकों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद की तैयारी है। पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आर्थिक स्थिति के बीच संतुलन साधने की दिशा में यह बैठक निर्णायक मानी जा रही है।
भारत सरकार के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सोमवार को नई दिल्ली स्थित कृषि भवन के कमरा नंबर 121 में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जा रही है। बैठक का उद्देश्य ट्रैक्टरों के टर्म-फोर और टर्म-फाइव उत्सर्जन मानकों को लेकर विचार-विमर्श करना है। इस बैठक में सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है, ताकि किसानों की चिंताओं को सीधे तौर पर समझा जा सके। किसानों का पक्ष रखने के लिए भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।
धर्मेंद्र मलिक ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि ट्रैक्टर किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है और यदि नए उत्सर्जन मानक बिना पर्याप्त समय और सहायता के लागू किए गए, तो यह किसानों के लिए बड़ा आर्थिक संकट बन सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की स्थिति को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए, अन्यथा ट्रैक्टर खरीदना और चलाना किसानों के लिए कठिन हो जाएगा। बैठक में ट्रैक्टरों से उत्पन्न प्रदूषण, उनके संचालन की अवधि, उत्सर्जन स्तर, और भविष्य में आने वाले मानकों के कृषि लागत पर संभावित प्रभावों पर भी चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रैक्टर उद्योग पर कड़े उत्सर्जन मानक लागू होने से मशीनों की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जिससे छोटे और मध्यम किसान सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
बैठक का उद्देश्य है कि पर्यावरण सुरक्षा और किसानों के हितों में संतुलन स्थापित करना। सरकार चाहती है कि प्रदूषण पर नियंत्रण रखते हुए किसानों पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ न पड़े। इस बैठक के नतीजे पर किसानों और ट्रैक्टर निर्माताओं की निगाहें टिकी हुई हैं। कृषि क्षेत्र के भविष्य को प्रभावित करने वाले इस निर्णय से यह तय होगा कि भारत में ट्रैक्टर उत्सर्जन नीति कितनी व्यावहारिक और किसान हितैषी होगी।






