खतौली। टबीटा रोड पर रेलवे लाइन के ऊपर बनाए जा रहे ओवर ब्रिज के निर्माण कार्य के दौरान एक मजदूर ऊंचाई से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल मजदूर का नाम प्रदीप है, जिसे तत्काल बेगराजपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। यह घटना उस समय हुई जब पिलर नंबर चार पर काम किया जा रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मजदूर के गिरने के समय कोई भी सुरक्षा उपकरण जैसे सेफ्टी बेल्ट या हेलमेट आदि उपयोग में नहीं लाए गए थे। निर्माण स्थल पर काम कर रहे अन्य मजदूरों और वहां से गुजर रहे राहगीरों ने जब यह हादसा देखा तो घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। प्रदीप को घायल अवस्था में साथियों ने अस्पताल पहुंचाया। यह दुखद हादसा पुल निर्माण स्थल पर चल रही सुरक्षा व्यवस्था की भारी कमी को उजागर करता है। पुल के दोनों ओर से ग्रामीणों का नियमित आना-जाना रहता है, ऐसे में ऊपर से कोई भारी वस्तु गिरने की स्थिति में नीचे चल रहे राहगीरों की जान पर भी खतरा बना रहता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल पर काम कर रहे मजदूरों को कोई भी सेफ्टी किट नहीं दी गई है और न ही साइट पर किसी प्रकार की चेतावनी पट्टिका या बैरिकेडिंग लगाई गई है। वहीं, निर्माण कार्य से जुड़ी एजेंसी द्वारा न तो किसी फर्स्ट एड सुविधा की व्यवस्था की गई है और न ही कोई मेडिकल टीम मौके पर मौजूद थी। घटना के बाद जब साइट इंजीनियर हुसैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मजदूर काम समाप्त करने के बाद नीचे उतर रहा था, तभी वह गिर पड़ा। यह स्पष्ट नहीं है कि वह स्लीपर टूटने के कारण गिरा या किसी और कारण से। इसकी जांच की जा रही है और घायल का इलाज जारी है। इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि निर्माण कार्य में श्रमिकों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। श्रम कानूनों के अनुसार ऊंचाई पर काम करने वाले मजदूरों को विशेष सुरक्षा उपकरण प्रदान करना अनिवार्य है, लेकिन यहां इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की जांच कर निर्माण एजेंसी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

रामपुर तिराहा स्मारक पर दानदाता महावीर प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण
मुजफ्फरनगर। 2 अक्टूबर 1994 की रात को दिल्ली राज्य आंदोलन में प्रतिभाग करने जा रहे राज्य आंदोलनकारियों की बसों को रोका गया और फिर संघर्ष में पुलिस की गोलियों से सात आंदोलनकारी शहीद हो गये। यहां पर महिलाओं के साथ बलात्कार किये जाने के आरोप भी लगे हैं। संकट के ऐसे समय में स्थानीय निवासी महावीर प्रसाद शर्मा ने अपनी पत्नी स्व. संतोष देवी और ग्रामीणों के साथ मिलकर आगे आकर बड़े पैमाने पर पीड़ितों की मदद की और गोलीकांड के मुकदमों में पुलिस व प्रशासन के अफसरों के खिलाफ उत्तराखंड सरकार की ओर से सीबीआई के गवाह भी बने। उन्होंने शहीद स्मारक के लिए अपनी डेढ़ बीघा भूमि संस्कृति