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आवास विकास कालोनी के लिए जमीन देने को तैयार नहीं किसान

मुजफ्फरनगर। शेरनगर में जुटे पांच गांवों के किसानों ने सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया। शनिवार को हुई महापंचायत में किसानों ने एक सुर में चेताया कि उपजाऊ ज़मीन पर जबरन कॉलोनी नहीं बनने देंगे, चाहे इसके लिए कितना भी बड़ा आंदोलन क्यों न करना पड़े। सैकड़ों किसानों की मौजूदगी में हुई महापंचायत में चेतावनी दी गई कि खेती की ज़मीन के बदले जान चली जाए तो मंजूर है, लेकिन ज़मीन नहीं दी जाएगी।

जानसठ बाईपास स्थित शेरनगर गांव में शनिवार को पांच गांवों के किसानों ने प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के खिलाफ महापंचायत आयोजित की, जिसमें सरकार द्वारा 4700 बीघा उपजाऊ कृषि भूमि के अधिग्रहण के विरोध में शेरनगर, सरवट, कुकड़ा, धंधेड़ा और बिलासपुर गांवों के सैकड़ों किसान जुटे। पंचायत में सर्वसम्मति से एक संघर्ष समिति का गठन किया गया, जो आगे की रणनीति तय करेगी और आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन को तेज करेगी। किसानों का आरोप है कि सरकार जबरन भूमि अधिग्रहण कर आवासीय कॉलोनियों का विकास करना चाहती है, जबकि पहले भी ऐसी कॉलोनियों के नाम पर किसानों को ठगा गया है। किसानों ने आरोप लगाया कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित शिकायतों के निपटारे में ‘सीएम पोर्टल’ का मज़ाक बन गया है, जहां शिकायत की जांच वही अधिकारी कर रहे हैं, जिन पर आरोप हैं। किसानों ने इसे न्याय की बजाय लीपापोती करार दिया।

शेरनगर निवासी तौसीब चौधरी ने बताया कि यह तीसरी महापंचायत है और किसानों की उपजाऊ ज़मीन को जबरन लेने की सरकार की ओर से एक बड़ी साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास मखियाली, चरथावल या पीनना जैसे अन्य विकल्प हैं, लेकिन योजनाबद्ध ढंग से शेरनगर के किसानों और ग्रामीणों को ही निशाना बनाया जा रहा है। किसानों ने यह भी खुलासा किया कि हरियाणा के कुछ निजी बिल्डर हाल ही में गांव आए थे और दावा किया कि सरकार उनके लिए भूमि अधिग्रहण करेगी ताकि वे प्लॉटिंग कर सकें।

बताया गया कि इस प्रकरण में अब तक प्रशासन द्वारा किसानों को 250 से अधिक खसरा नंबरों के तहत 700 से ज्यादा नोटिस भेजे जा चुके हैं। सभी किसानों ने लिखित रूप में आपत्ति दर्ज कराई है और जमीन देने से इनकार किया है। कूकड़ा गांव के प्रमोद राठी ने कहा कि पहले भी कई कॉलोनियां बनीं, लेकिन वे आज तक पूरी तरह विकसित नहीं हो पाईं। शेरनगर के किसान मोहम्मद माजिद ने कहा कि एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, दूसरी ओर बहुफसली ज़मीन छीनने पर तुली है। यह नाइंसाफी है। पंचायत में निर्णय लिया गया कि जल्द ही एक और बड़ी महापंचायत बुलाई जाएगी, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत सहित अन्य किसान नेता भाग लेंगे। संघर्ष समिति इस मुद्दे को लेकर जिलाधिकारी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की मांग करेगी।

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