मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के साथ अनुबंध के आधार पर शहरी क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण का कार्य कर रही दिल्ली की कंपनी एमआईटूसी सिक्योरिटी एण्ड फैसिलिटीज प्रा. लि. अब आर्थिक संकट से घिरती नजर आ रही है। वेतन के मामले में पांच दिनों तक कर्मचारियों की हड़ताल का प्रकरण प्रशासन के सहयोग से निपटा तो अब पालिका प्रशासन द्वारा कंपनी पर शर्तों का उल्लंघन करने और कार्य के प्रति लापरवाही साबित होने के कारण लगाया गया एक करोड़ का जुर्माना कंपनी के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। पालिका ने कंपनी को जुर्माने के रूप में काटी गई रकम का भुगतान करने से इंकार कर दिया है, जिसके कारण कंपनी के कर्मचारियों का दो माह का वेतन फंस गया है।
नगरपालिका द्वारा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और डलाव घरों से कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था के लिए एमआईटूसी कंपनी के साथ अनुबंध किया था। इसके लिए शहर के 55 वार्डों में घर घर कूड़ा उठान के साथ ही शहरी क्षेत्र के सभी डलाव घरों से कूड़ा निस्तारण कंपनी के सुपुर्द कर दिया गया। पालिका द्वारा इसके लिए कंपनी को 92 लाख रुपये प्रतिमाह का भुगतान तय किया गया। जबकि कंपनी को हर घर और प्रतिष्ठान से यूजर चार्ज वसूल करते हुए पालिका में जमा कराया जाना इसी अनुबंध की शर्तों में शामिल रहा। आज कंपनी के साथ करीब 450 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। 55 वार्डों में 77 टिपर वाहन लगाकर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है। कंपनी के इन कर्मचारियों का प्रतिमाह करीब 45 लाख वेतन होता है। हालांकि वेतन देने की जिम्मेदारी कंपनी की है, लेकिन पिछले दिनों से पालिका के द्वारा कंपनी को पूरा भुगतान नहीं करने के कारण कंपनी ने वेतन देने से भी हाथ खड़े कर लिये और मामला पांच दिन की हड़ताल तक पहुंच गया था। सिटी मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप के बाद पालिका ने कंपनी को 32 लाख रुपये का भुगतान इसी शर्त पर किया था कि वो यह पैसा कर्मचारियों के वेतन मद में ही देंगे। इसके बावजूद भी कंपनी के सैंकड़ों कर्मचारी अभी ऐसे रह गये हैं, जिनका वेतन दो माह से नहीं मिला है।
अब पालिका ने शर्तों का उल्लंघन करने और कार्य के प्रति लापरवाही तथा अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना के आरोप में आर्थिक दंड रोपित किया है। कंपनी पर पालिका ने एक करोड़ पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और भुगतान से ये रकम काट ली है। नवम्बर माह में कंपनी को 92 लाख में से केवल 45 लाख रुपये का भुगतान किया गया और अक्टूबर माह के भुगतान से 60 लाख रुपये की कटौती की गई है। दो माह में कंपनी पर एक करोड़ पांच लाख रुपये का जुर्माना होने से कंपनी में हलचल मची है। कंपनी की ओर से पालिका से लगातार काटी गई रकम का भुगतान मांगा जा रहा है, लेकिन पालिका ने यह रकम देने से इंकार कर दिया है।
एमआईटूसी कंपनी के परियोजना प्रबंधक पुष्पराज सिंह ने बताया कि बिना कोई सटीक कारण बताये ही पालिका प्रशासन द्वारा सितम्बर और अक्टूबर के तय भुगतान से पैसा काट लिया गया है। हम केवल अक्टूबर माह से काटा गया 60 लाख रुपये पालिका से मांग रहे हैं। अभी कंपनी के साथ काम कर रहे सुपरवाइजरों और ऑफिस स्टाफ का वेतन नहीं दिया गया है। दो माह से यह वेतन लंबित है। इनका एक माह का करीब 12-13 लाख वेतन बैठता है। पालिका पैसा नहीं दे रही तो वेतन का संकट गहरा रहा है। जो 32 लाख का भुगतान पालिका ने दिया था, उससे वाहन चालकों और सफाई हैल्परों का वेतन दिया जा चुका है। गुरूवार को भी इस सम्बंध में वो खुद पालिका पहंुचकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अतुल कुमार से मिले और सारी समस्या रखते हुए शेष भुगतान की मांग की, लेकिन उन्होंने जांच चलने की बात कहते हुए भुगतान पत्रावली पर स्वीकृति प्रदान करने से इंकार कर दिया।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि ईओ के आदेश पर कंपनी के खिलाफ विभिन्न शिकायतों पर जांच की गई, इसमें आरोप सही पाये गये हैं, जुर्माना स्वरूप ही कंपनी की राशि का भुगतान रोका गया है। सितम्बर में 48 लाख का भुगतान किया गया था, शेष 44 लाख रुपये की रकम सिक्योरिटी मद में काटी गई थी और अक्टूबर में केवल 32 लाख का भुगतान कंपनी को दिया गया है। 60 लाख रुपया बतौर जुर्माना रोका गया है। वहीं ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह का कहना है कि कंपनी के खिलाफ जेई जलकल जितेन्द्र कुमार के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय समिति से जांच कराई गई है, जिसमें अधिकांश आरोप कंपनी के खिलाफ सही पाये गये हैं। इसी कारण भुगतान रोका गया है। इसमें नगर स्वास्थ्य अधिकारी को जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है, रिपोर्ट आने के बाद ही चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के समक्ष प्रकरण रखा जायेगा और भुगतान पर निर्णय हो पायेगा।
पेट्रोल पम्पर से कंपनी को तेल मिलना बंद, नहीं हो पा रही वाहनों की मरम्मत
मुजफ्फरनगर। पालिका के साथ काम कर रही एमआईटूसी कंपनी पूरी तरह से आर्थिक संकटों से घिर चुकी है। कंपनी ने जिन शर्तों पर काम करना स्वीकार किया, उनको पूरा ही नहीं किया जा रहा है। पालिका की जांच में अनेक ऐसी खामियां सामने आई, जिस कारण कंपनी का भुगतान पालिका प्रशासन को रोकना पड़ा। कंपनी के परियोजना प्रबंधक पुष्पराज सिंह का कहना है कि पालिका से पैसा नहीं मिलने के कारण अब तेल का बंदोबस्त करना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि पेट्रोल पम्प से भी कंपनी के वाहनों को डीजल मिलना बंद होने लगा है, वहीं खराब हो रहे वाहनों की मरम्मत भी नहीं हो पा रही है, यहां तक की एक पंक्चर जोड़ने वाले ने भी भुगतान के बिना कार्य करने से इंकार कर दिया है। कर्मचारियों के वेतन को लेकर तनाव अलग से बढ़ रहा है। पाालिका ने दो माह में जो पैसा कंपनी के भुगतान से काटा है, उसका कोई कारण अभी तक नहीं बताया गया है। बताया कि कंपनी छोटे-बड़े 102 वाहनों से काम कर रही है। प्रतिदिन करीब 70-80 हजार रुपये का डीजल इन वाहनों में खर्च हो रहा है। महीने में 20-25 लाख रुपये का तेल लग रहा है। पम्प से 15 दिन के उधार के अनुबंध पर कंपनी काम कर रही है, लेकिन अब पम्प का भुगतान भी ज्यादा हो रहा है। यूजर चार्ज वसूलने में भी पालिका की ओर से सहयोग नहीं मिला रहा है। प्राइवेट कर्मचारी वसूली नहीं करने देते हैं, प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी नहीं किये तो कंपनी को मुश्किल हो रही है, फिर भी जो भी कलैक्शन हो रहा है, वो कंपनी जमा करा रही है।