मुजफ्फरनगर की सिविल लाइन पुलिस ने गैंगस्टर नीरज बाबा उर्फ चीता की जमानत प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में अधिवक्ता योगेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि नीरज बाबा ने जमानत लेने के लिए जिन दो लोगों को जमानती के तौर पर पेश किया था, उनमें से एक व्यक्ति की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी, जबकि दूसरे ने जमानत से संबंधित किसी भी प्रक्रिया में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने बताया कि खतौली पुलिस ने मेरठ निवासी कुख्यात अपराधी नीरज बाबा उर्फ चीता उर्फ पंडित के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। जमानत हासिल करने के लिए आरोपित ने प्रताप सिंह और विलखराम को जमानती के रूप में प्रस्तुत किया था।
मामले की आगे की सुनवाई में जब न तो नीरज बाबा और न ही जमानती अदालत में पेश हुए तो जांच के आदेश दिए गए। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत द्वारा की गई जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि जमानती प्रताप सिंह की मृत्यु 15 सितंबर 2008 को ही हो चुकी थी, जबकि उसके भाई विलखराम ने खुद को इस जमानत प्रक्रिया से बिल्कुल अलग बताया।
रिपोर्ट के आधार पर खतौली थाना प्रभारी दिनेश चंद्र की शिकायत पर सिविल लाइन थाने में नीरज बाबा और अधिवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अधिवक्ता योगेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि इस जमानत फर्जीवाड़े में शामिल तीन अन्य आरोपियों के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है।






