पंजाब में लगातार हो रही बारिश और बांधों से छोड़े गए पानी ने हालात बिगाड़ दिए हैं। राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है। अधिकारियों के अनुसार, यह बाढ़ पिछले कई दशकों में सबसे भयावह मानी जा रही है।
लगातार बढ़ते जलस्तर से करीब 3.75 लाख एकड़ कृषि भूमि, खासकर धान की फसलें, पानी में डूब गई हैं। बड़ी संख्या में पशुधन भी प्रभावित हुआ है, जिससे ग्रामीण इलाकों की आजीविका को गहरा नुकसान पहुंचा है।
राज्य के मुख्य सचिव ने सभी जिलों के डीसी और मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए हैं कि आपदा की स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को राहत कार्यों में तेजी लाने और सभी विभागों को छुट्टियों में भी ड्यूटी पर तैनात रहने का आदेश दिया गया है। पीडब्ल्यूडी, बिजली और जल संसाधन विभाग को सेवाएं बहाल करने का काम युद्ध स्तर पर करने के लिए कहा गया है। वहीं टेलीकॉम कंपनियों को मोबाइल व लैंडलाइन सेवाएं जल्द से जल्द चालू करने के निर्देश दिए गए हैं।
सतलुज किनारे गांव जलमग्न
भाखड़ा डैम से छोड़े गए पानी के बाद सतलुज नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। इसके चलते मोगा जिले के संघेड़ा, कंबो खुर्द और सेरेवाला गांव पूरी तरह पानी में घिर गए हैं। जानकारी के मुताबिक, लगभग 250 घर डूब चुके हैं। लोग नावों से जरूरी सामान निकाल रहे हैं और छतों व बांधों पर अपना सामान व पशु सुरक्षित कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जलस्तर और बढ़ा तो हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सतलुज के किनारे बसे करीब 30 गांवों की लगभग 6,000 एकड़ फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है।
मोगा प्रशासन ने तीन प्रभावित गांवों के लिए नजदीकी स्कूलों में राहत शिविर बनाए हैं। यहां लोगों को पीने का पानी, दवाइयां और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।







