देवबन्द के श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर जी सरागवाडा में वर्षायोग समिति के तत्वावधान में आचार्य श्री 108 अरूण सागर जी महाराज के सानिध्य में दशलक्षण पर्व पर तत्वार्थ सूत्र विधान आयोजन किया गया। दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन तत्वार्थ सूत्र विधान का दूसरा अध्याय के 53 अर्ध चढ़ाये गए।दशलक्षण धर्म की पूजा व विधान भक्तो द्वारा संगीत की मधुर धुनों के बीच की गई।
वर्षायोग समिति के वित्त संयोजक सुनील जैन (ठेकेदार) ने कहां कि दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन ‘उत्तम मार्दव धर्म’ के दिन दक्षलक्षण पूजा की गई, जो अहंकार और घमंड का नाश करने का प्रतीक है. इस अवसर मंदिर जी में श्री जी का अभिषेक शांतिधारा,नित्य नियम पूजा ,तत्वार्थ सूत्र विधान किया गया। आचार्य श्री ने प्रवचन मे उत्तम मार्दव का महत्तव बताया की दशलक्षण पर्व का दूसरा दिन “उत्तम मार्दव” (अत्यधिक विनम्रता) का होता है, जिसका महत्व अहंकार और अभिमान का त्याग करके नम्रता व सरलता का भाव अपनाना है. यह आत्म-शुद्धिकरण, आंतरिक शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह भीतर के अहंकार को मिटाकर आत्मा को शुद्ध और सौम्य बनाता है।
मार्दव का अभ्यास व्यक्ति को व्यवहार में विनम्र और मृदु बनाता है, जो सच्ची आध्यात्मिक यात्रा का आभूषण है। दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन तत्वार्थ सूत्र विधान कराने व श्रीजी की शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री सतीश जैन परिवार को मिला। इस अवसर पर विनोद जैन (दस्तावेज लेखक) ,रविंद्र जैन ,अनुज जैन ,अकाश जैन,मनोज जैन ,अंकित जैन ,अजय जैन ,श्रीमती मुकेश जैन ,सुमन जैन ,अर्चना जैन ,डॉली जैन ,अंजलि जैन ,नीतू जैन ,अंशु जैन ,आस्था जैन,पवित्र जैन ,जैन समाज उपस्थित रहा।