कृषि कानूनों पर सरकार से वार्ता विफल, किसान प्रतिनिधियों ने मीटिंग से किया वाॅकआउट, कानून की प्रतियां फाड़ी

सरकारी पक्ष से नाराज किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि उनसे बातचीत करने के लिए सरकार का कोई मंत्री नहीं आया। इसके बाद उन्होंन कृषि कानूनों की प्रतियां फाड कर विरोध जताया और बैठक से वाॅकआउट किया है।

Update: 2020-10-14 09:52 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पास कराए गए कृषि कानूनों को लेकर जारी तकरार के बीच आज 29 किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत विफल हो गई। सरकारी पक्ष से नाराज किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि उनसे बातचीत करने के लिए सरकार का कोई मंत्री नहीं आया। इसके बाद उन्होंन कृषि कानूनों की प्रतियां फाड कर विरोध जताया और बैठक से वाॅकआउट किया है।

सरकार के न्यौते पर पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे 29 किसान संगठन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के साथ बुधवार को बातचीत करने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। इस दौरान कृषि सचिव के साथ शुरू हुई बैठक से उन्होंने वाॅकआउट कर दिया। किसान संगठनों ने कृकृषि भवन के बाहर कृषि कानूनों की प्रतियां भी फाडते हुए मांग की कि कृषि से जुड़े ये कानून वापस ले लिए जाएं। एक किसान यूनियन नेता ने कहा कि हम किसान कानूनों पर चर्चा से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए बैठक का बहिष्कार किया। इन काले कानूनों को खत्म कर दिया जाना चाहिए। एक अन्य किसान नेता ने कहा कि मीटिंग के लिए कोई भी मंत्री नहीं आया, इसके चलते उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया। केंद्र के साथ बातचीत के लिए सात सदस्यीय समिति बनाई गई है। इस समिति में बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शनपाल, जगजीत सिंह डालेवाल, जगमोहन सिंह, कुलवंत सिंह, सुरजीत सिंह और सतमान सिंह साहनी शामिल किये गए हैं। किसान संगठनों ने पिछले सप्ताह भी आठ अक्टूबर को उनकी चिंताओं के समाधान के लिए बुलाये गये सम्मेलन में हिस्सा लेने के केंद्र के न्यौते को ठुकरा दिया था। इन संगठनों के आंदोलन से राज्य में रेल यातायात बाधित हुआ और ताप विद्युत संयंत्रों की कोयला आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई।

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