शाहीन बाग पर सुप्रीम कोर्ट बोलाः नहीं कर सकते सार्वजनिक स्थान पर बेमियादी कब्जा

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि विरोध-प्रदर्शनों के लिए सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। कहीं भी सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन निर्धारित जगह पर ही होना चाहिए।

Update: 2020-10-07 06:45 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि विरोध-प्रदर्शनों के लिए सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। कहीं भी सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन निर्धारित जगह पर ही होना चाहिए।

गत दिनों नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए शाहीन बाग पर पुलिस की भूमिका को भी कटघरे में खडा करते हुए कोर्ट ने कहा कि वहां जमा लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी।इस मामले पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय न्यायिक पीठ ने फैसला सुनाया । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर विरोध करने का अधिकार पूर्ण नहीं है और सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के लिए अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है। मामले में अधिकारियों को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं, मगर प्रदर्शन निर्धारित इलकों में ही होना चाहिए। अधिवक्ता अमित साहनी ने फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों द्वार बंद कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग को खोलने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। प्रदर्शनकारियों ने करीब सौ दिनों तक कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग को बंद रखा था, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतें हुईं थीं। 

Similar News