दिल्ली की कंपनी साफ-सफाई में हुई फेल, गंदगी के कारण बनी शहरवासियों की रेल
शहर में चारों ओर गन्दगी का साम्राज्य आ रहा नजर, लद्दावाला में सरकारी स्कूल और अस्पताल के पास मच रही सडांध, नागरिकों का जीवन भी हुआ दूभर
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के द्वारा शहरी क्षेत्र में स्वच्छता का वातावरण पैदा करने के लिए कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है। एक दिन की सफाई के लिए पालिका प्रशासन दिल्ली की कंपनी को ही 3 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान कर रहा है, इसके अलावा अपने सफाई कर्मचारियों और संसधान पर खर्च रहा अलग, लेकिन दिल्ली की कंपनी पालिका का खजाना तो खाली करने में लगी हुई है, परन्तु शहरी क्षेत्र में साफ सफाई का आलम और भी बदतर करके रख दिया है। पालिका से पैसा लेने की होड़ में कंपनी यह भी भूल गई कि उसको भी घर और प्रतिष्ठानों से पैसा वसूल करते हुए जमा भी कराना है। आज शहर में चारों ओर गन्दगी का आलम मचा नजर आ रहा है और सरकारी स्कूल तथा अस्पताल के नीचे ही भयंकर सडांध मचने से लोगों का जीवन दूभर तथा छात्राओं पर मौत का साया मंडरा रहा है।
नगरपालिका परिषद् के द्वारा शहरी क्षेत्र की सफाई व्यवस्था और घर व प्रतिष्ठानों से कूड़ा कलेक्शन के लिए एक बड़ा निर्णय लेते हुए दिल्ली की निजी कंपनी एमआईटूसी सिक्योरिटी एण्ड फैसिलिटी प्रा. लि. के साथ करार किया था। कंपनी को प्रतिमाह भुगतान के लिए पालिका से अनुबंध के अनुसार प्रत्येक माह 92 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है, यानि हर दिन की सफाई के लिए पालिका कंपनी को 3 लाख 06 हजार 666 रुपये दे रही है। ये खर्च केवल कंपनी के लिए है। जबकि पालिका के अपने नियमित, संविदा और ठेका व्यवस्था के तहत करीब एक हजार सफाई कर्मचारी, वाहन और संसाधन भी हैं, ये भी शहरी सफाई व्यवस्था में दिन और रात जुटे नजर आते हैं। इनके वेतन और वाहनों की मरम्मत पर भी करीब करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। ये अकेला खर्च इसलिए कि शहर की सफाई सुधर जाये, लेकिन इतना मोटा खर्च होने और दिल्ली की कंपनी को साथ लगाने के बावजूद भी शहर सड़ता ही जा रहा है।
एमआईटूसी कंपनी ने फरवरी से पालिका में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और कूड़ा डलावघरों से कूड़ा निस्तारण का कार्य अपने हाथों में लेकर काम शुरू किया था। इसके बाद कंपनी को कूड़ा डलाव घर बंद करने का टास्क दिया गया। कंपनी ने दावा किया कि करीब 12 डलावघर बंद कराये गये, लेकिन इनमें से अधिकांश स्थान पर आज भी कूड़ा डाला जा रहा है। सबसे ज्यादा बुरा हाल लद्दावाला और नई मंडी में राजवाहा रोड तथा फल मंडी वाली साइड में देखने को मिलता है। लद्दावाला में सरकारी प्राथमिक विद्यालय और जिला महिला एवं पुरुष अस्पताल के पास ही कंपनी ने पूरी तरह से सड़क को गन्दगी का अड्डा बनाकर रख दिया है। इसके साथ ही घरों और प्रतिष्ठानों से भी टिपिंग फीस वसूलने में कंपनी नाकाम साबित हुई है। कंपनी को पालिका से तो भुगतान मिलता रहा है, लेकिन कंपनी अपने अनुबंध का पालन करते हुए टिपिंग फीस पालिका को नहीं दे रही है। बाजारों में भी कंपनी काम करने में फेल साबित हुई है। वहां से न तो कूड़ा कलेक्शन ही प्रतिष्ठानों पर एमआईटूसी कर पा रही है और न ही इन प्रतिष्ठानों से निर्धारित टिपिंग फीस ही वसूल पा रही है।
गंदगी के कारण पालिका ने कंपनी से कर ली 50 प्रतिशत भुगतान की कटौती
कंपनी के परियोजना प्रबंधक और जोन इंचार्ज पुष्पराज सिंह का कहना है कि सफाई व्यवस्था में जो भी परेशानी पैदा हो रही है, वो पालिका की ओर से सहयोग नहीं मिल पाने के कारण हो रही है। शहर में प्रतिदिन कंपनी के कर्मचारी कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं। आरोप लगाया कि वार्डों में पालिका के नियमित रूप से करीब 350 लोग जोकि पालिका के ही संविदा, नियमित और ठेका सफाई कर्मी हैं, डोर टू डोर कूड़ा उठाकर पैसा वसूलने का काम कर रहे हैं। मंडी क्षेत्र में कृषि उत्पादन मंडी समिति खुद सफाई कराती है, ठेका दिया हुआ है। जो भी गंदगी है समिति का ठेकेदार ही फैला रहा है। लद्दावाला में प्राइवेट सफाई कर्मचारी गन्दगी डाल रहे हैं। सफाई नायकों से सहयोग नहीं मिलता है। बाजारों में सफाई के लिए सात आठ गाड़ियों तीनों जोन में बाजारों में निकल रही हैं। वहां पर दुकानों से 100 और 200 रुपये वसूलने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन पालिका के कर्मचारी ही पैसा वसूल रहे हैं। पालिका से भी पूरा भुगतान कंपनी को नहीं मिल पा रहा है। दीपावली से पहले 50 प्रतिशत की कटौती करते हुए 46 लाख ही भुगतान दिया था। कटौती का कारण भी नहीं बताया गया है। डीजल और वेतन की भी परेशानी कंपनी के सामने खड़ी हो रही है।
अनुबंध की शर्तों को तोड़ने पर कंपनी पर कई बार लग चुका जुर्माना
मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् के साथ कूड़ा निस्तारण के लिए 92 लाख रुपये प्रतिमाह भारी भरकम भुगतान लेने वाली एमआईटूसी कंपनी लगातार अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर चुकी है। कई बार पालिका चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने कंपनी की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और शर्तों का उल्लंघन करने पर चेयरपर्सन के आंदशे पर पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह द्वारा कंपनी पर भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है। कंपनी के अनुबंध में शामिल है कि कूड़ा उसके स्रोत से उठने के बाद शहर में कहीं भी सड़क पर नहीं डाला जायेगा, वाहनों के माध्यम से यह कूड़ा स्रोत से उठाकर सीधे डम्पिंग ग्राउंड पहुंचाया जायेगा, लेकिन कंपनी ने शर्त तोड़कर अपना कूड़ा ट्रांसफर सेंटर बनाया हुआ है, जहां शहर भर से कूड़ा ले जाकर डाला जाता है और फिर उसकी छंटनी के बाद उठाया जाता है। नियम तोड़ने के बावजूद भी कंपनी निरंकुश होकर कार्य कर रही है। लोगों में गन्दगी के कारण रोष बन रहा है।
कूड़ा बीनने पर हो चुकी मौत के बाद भी कंपनी तोड़ रही नियम
मुजफ्फरनगर शहर से निकलने वाले अपशिष्ट को भी नियम के खिलाफ एमआईटूसी कंपनी बेचने का काम कर रही है, जबकि कूड़े से प्लास्टिक आदि बीनने पर एक युवक की मौत भी हो चुकी है। कंपनी ने इन दिनों अपना कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन मखियाली के पास बनाया हुआ है। यहां पर शहर भर से कूड़ा ले जाकर एकत्र किया जाता है और वहां से कूड़ा किदवईनगर डम्पिंग ग्राउंड पहुंचाया जाता है। सूत्रों का कहना है कि वहां पर कंपनी कूड़ा छंटवाने के लिए ठेका छोड़कर काम करा रही है। लद्दावाला के पास कूड़ा डलावघर में भी कुछ कर्मचारी दिन भर कूड़ा छांटने में लगे रहते हैं, यहां कंपनी के सुपरवाइजर उनको हटाने का काम नहीं करते। कहा जा रहा है कि इससे भी कंपनी अवैध रूप से लाखों रुपये कमा रही है। जबकि ये अनुबंध के खिलाफ है।