एक तबादला-चेयरपर्सन और मंत्री के बीच फिर उठा-पटक
नगरपालिका परिषद् के नगर स्वास्थ्य की शिकायत मिलने पर योगी सरकार के मंत्री ने उनका तबादला करा दिया, लेकिन चेयरपर्सन ने अधिकारी को रिलीव करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही तबादला करने पर चेयरपर्सन ने सीएमओ को पत्र लिखकर नाराजगी जताते हुए यहां तक कह दिया कि आपने एक राजनेता के कहने मात्र से ही बिना सोचे समझे तबादला आदेश जारी क्यों कर दिया।
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन के साथ मंत्री का फिर से विवाद शुरू हो गया है। इस बार यह विवाद पालिका के एक अधिकारी के तबादले को लेकर है। इसमें मंत्री द्वारा इस अधिकारी का तबादला कराये जाने की चर्चा हैं, जबकि तबादला आदेश जारी होने के बाद भी ये अधिकारी पालिका में अपने दायित्व का निर्वहन निरंतर कर रहा है, क्योंकि चेयरपर्सन ने सीएमओ के तबादला आदेश को दरकिनार करते हुए शहर हित में इस अधिकारी को पालिका से रिलीव करने से ही इंकार कर दिया। इसके साथ ही चेयरपर्सन ने सीएमओ को लम्बा चैड़ा पत्र लिखकर पदीय दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं करने के आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई और कहा कि उनके द्वारा एक राजनेता के दबाव में शहर की सफाई व्यवस्था को ठप कराने का काम किया गया है। इससे एक बार फिर मंत्री और चेयरपर्सन के बीच उठा पटक का दौर शुरू हो गया है।
बता दें कि 8 मार्च को नगरपालिका परिषद् में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत डा. रविन्द्र सिंह राठी का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भोपा पर चिकित्सा प्रभारी के पद पर स्थानान्तरण करते हुए सीएमओ डा. एसके अग्रवाल द्वारा यहां पर चरथावल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधिकारी डा. संजीव कुमार की तैनाती की गयी। डा. राठी के लिए राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल को शिकायत मिली थी, और मंत्री के आदेश पर सीएमओ ने यह तबादला किया। खुद मंत्री द्वारा कहा गया था कि डा. राठी की कार्यप्रणाली को लेकर काफी शिकायतें मिल रही थी। इसलिए उनको हटाया गया है।
इसके एक सप्ताह बाद भी नगरपालिका में डा. रविन्द्र सिंह राठी अपने चार्ज पर कायम हैं। उनके द्वारा भोपा में चार्ज ग्रहण ही नहीं किया गया है। इस मामले में मंत्री और चेयरपर्सन के बीच आपसी खींचतान चल रही थी। लेकिन अब यह सतह पर आ गयी है। चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. राठी के तबादले पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए आरोप लगाया है कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी के कामकाज को लेकर उनके द्वारा कोई शिकायत नहीं की गयी, बिना किसी शिकायत एवं उनसे विचार विमर्श के किये ही उनका स्थानान्तरण कर दिया गया। उन्होंने डा. राठी को रिलीव करने से ही इंकार कर दिया और उनको अपने पद पर बने रहकर कार्य करने के निर्देश दिये। उधर डा. राठी को रिलीव करने का दबाव भी सीएमओ दफ्तर से बनाया गया।
इस मामले में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने सीएमओ को एक लम्बी चैड़ी चिट्ठी लिखकर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि चेयरपर्सन ने चिट्ठी में कहा कि पालिका में नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पद जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार के साथ-साथ सीधे-सीधे जन स्वास्थ्य से जुडा होने के कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं तथा लेविल-4 के अन्तर्गत आता है। पालिका में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के दो पद सृजित हैं, परन्तु लखनऊ स्तर से पिछली लम्बी अवधि से नगर पालिका परिषद, में नगर स्वास्थ्य अधिकारी की कोई तैनाती ना करने के कारण कार्य की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था कर नगर स्वास्थ्य अधिकारी की तैनाती की हुई है।
उन्होंने सीएमओ के निर्णय को बिना सोच विचार वाला बताते हुए कहा कि पद संभाले आपको 15 दिन की अवधि भी नहीं हुई हैं। इतनी कम अवधि में ऐसा आदेश उचित नहीं हैं। मुझे तबादले की जानकारी समाचार पत्रों से मिली तो मैं अचंभित रह गयी। चेयरपर्सन ने सीएमओ के प्रति इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई कि एक राजनेता के मात्र कहने से उनके द्वारा पालिका की सफाई व्यवस्था को छिन्न-भिन्न होने की स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया हैं। ये मेरी समझ से परे है। स्वास्थ्य विभाग के जनपद के सर्वोच्च पद पर आसीन अधिकारी को किसी के भी दबाव एंव प्रभाव में जनहित के कार्यों को प्रभावित करने के निर्णय नहीं लेने चाहिए। शासन व सरकार की नीति भी दबाव में आकर कार्य करने की नहीं हैं।
चेयरपर्सन ने स्पष्ट कर दिया कि सीएमओ के द्वारा जारी पालिका से डा. राठी को कार्यमुक्त करने के आदेश पर वर्तमान में जनहित सर्वोपरि होने के कारण इस पर विचार किया जाना सम्भव नहीं हैं। साथ ही इस पर उन्होंने सीएमओ को ही जनहित में पुर्नविचार करने की नसीहत दी है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक शासन से नगर पालिका परिषद में लेविल-4 अधिकारी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी की तैनाती नहीं होती तब तक स्वच्छता कार्यों के अनुभवी नगर स्वास्थ्य अधिकारी, डा. रविन्द्र सिह राठी की तैनाती पालिका में रहनी नितान्त आवश्यक हैं। यहां से उनको हटाना जनहितों से खिलवाड बताते हुए चेयरपर्सन ने सीएमओ के आदेश का मान रखते हुए सुझाव दिया कि यदि डा. राठी के साथ-साथ डा. संजीव कुमार भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पदीय दायित्वों के निर्वहन के कार्य करने के इच्छुक हो तो कार्यहित एंव जनहित में उन्हें भी सहर्ष योगदान कराया जायेगा। इससे पालिका के कार्यों में और अधिक गति प्रदान होगी।
डा. राठी की कार्यप्रणाली को चेयरपर्सन ने सराहा
मुजफ्फरनगर। सीएमओ को तबादले पर नसीहत भरा पत्र लिखने के साथ ही पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में डा. रविन्द्र सिंह राठी की कार्यप्रणाली की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि डा. रविन्द्र सिह राठी द्वारा नगर स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में एक उच्च स्तरीय अधिकारी के रूप में पालिका में कार्य किया गया हैं। इनकी तैनाती रहने के दौरान कभी भी संचारी रोग शहर में नहीं फैला। इसके अतिरिक्त नगरीय सफाई व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ हुई हैं। नगर की सबसे महत्वपूर्ण कूड़ा निस्तारण समस्या की समस्या के समाधान में इनकी बहुत बड़ी भूमिका रही हैं।
पालिका का लम्बे समय से बन्द कूडा प्लान्ट डा. राठी के अथक प्रयासों से चलना सम्भव हो सका है। नगर में नालियों एंव पुलियाओं के अतिरिक्त छोटे-बडे 110 नाले हैं, जिनके माध्यम से नगरीय गन्दे पानी की निकासी होती हैं। 12 अपै्रली से इनकी निरंतर सफाई का कार्य मेरे द्वारा कराया जा रहा है, इसका कुशल पर्यवेक्षण डा. राठी ने बेहतर ढंग से किया। पूर्व में मात्र संचारी रोगों की रोकथाम के लिये 03 माह अप्रैल मई और जून में नालों की सफाई कराई जाती थी। आज शहर का कोई नाला जल निकासी में अवरोधक नहीं है। नगर को क्लीन एंव ग्रीन सिटी बनाना बोर्ड का लक्ष्य एंव उददेश्य हैं।