1 साल से धूल फांक रहा पुलिस महानिरीक्षक का आदेश

Update: 2020-09-15 10:27 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कानून व्यवस्था में सुधार होने का लाख दावा करे लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी बयान करती है। थाना स्तर पर सुनवाई ना होने से फरियादी वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाता है और उसके संदर्भ में वरिष्ठ अधिकारी मातहत को कोई आदेश निर्गत करते हैं। उस आदेश की प्रति सालों धूल फांकती है। ऐसा ही एक वाक्या लखनऊ में हुआ जहां जहां थाना पीजीआई अंतर्गत कल्ली पश्चिम के रहने वाले अजय सिंह यादव ने अपने विरुद्ध फर्जी तरीके से कराई गई एफ आई आर के संबंध में पुलिस महानिरीक्षक लोक शिकायत से मुलाकात किया था। डीजीपी मुख्यालय स्थित महा निरीक्षक, लोक शिकायत कार्यालय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र संख्या डीजी-5-4 (ए-968) / 2019, दिनांक- 7 अगस्त 2019 भेजा था।

पत्र में पुलिस महानिरीक्षक लोक शिकायत ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को संबोधित करते हुए कहा था। "कृपया आवेदक श्री अजय कुमार सिंह उर्फ अजय यादव पुत्र श्री राम कृष्ण यादव, निवासी- मकान नंबर- 453, निकट- राधे कृष्णा मंदिर, कल्ली पश्चिम, रायबरेली रोड, जनपद- लखनऊ के प्रार्थना पत्र दिनांक- 6-7-2019 का अवलोकन करने का कष्ट करें, जिसमें अंकित मुकदमा अपराध संख्या 809/2018 धारा 420/467/468 आईपीसी व 2/3 सार्वजनिक संपत्ति निवारण अधिनियम थाना पीजीआई जनपद लखनऊ की निष्पक्ष विवेचना किए जाने का अनुरोध किया गया है जो मूल रूप मैं संलग्न कर प्रेषित है।" आगे इस आदेश पत्र में कहा गया था कि "उक्त प्रकरण अभियोग की निष्पक्ष विवेचना कराकर शीघ्र

निस्तारण कराएं तथा विवेचना की प्रगति परिणाम की आख्या 15 दिवस में इस मुख्यालय को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।" हैरानी की बात यह है कि 7 अगस्त 2019 को भेजें इस पत्र को 1 साल से ज्यादा हो गया है और इस पर कोई आख्या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से नहीं भेजी गई है। इस संबंध में पुलिस आयुक्त कार्यालय में जानकारी लेने पर जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि ऐसे बता पाना संभव नहीं है। शिकायतकर्ता पत्र की डिस्पैच संख्या लेकर कार्यालय में संपर्क करे। यह वाकया तो एक बानगी भर है ऐसे कितनी मामले होते हैं यहां उच्च अधिकारियों के पत्र का जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा जाता और यह आदेश पत्र डस्टबिन की शोभा बढ़ाते हैं।

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