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मीरापुर में मिथलेश पाल की शानदार जीत

मुजफ्फरनगर। मीरापुर विधानसभा सीट पर भाजपा-रालोद गठबंधन में एनडीए प्रत्याशी पूर्व विधायक मिथलेश पाल ने आखिरकार धमाकेदार जीत हासिल कर ली है। मतगणना पूरी होने के बाद आये परिणाम ने सभी के आंकड़ों को फेल कर दिया। यहां पर वैसे तो रालोद की ही जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी, लेकिन यह एकतरफा होगी यह किसी का दावा नहीं था। इस उपचुनाव में किस्मत की धनी निकली मिथलेश पाल ने सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा को 30426 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया है। यहां बसपा प्रत्याशी पांच हजार वोट भी नहीं ले पाये और उनकी जमानत जब्त हो गई। जबकि रालोद व सपा के बाद तीसरे नम्बर पर रहे आसपा प्रत्याशी का प्रदर्शन शानदार रहा। 22400 वोट प्राप्त कर किए तो एआईएमआईएम की पतंग के नाम पर भी मुस्लिमों ने साइकिल का मोह छोड़कर जमकर मतदान किया। औवेसी की पार्टी को 18867 वोट मिले और मुस्लिमों के बीच हुए चन्द्रशेखर व औवेसी फैक्टर के प्रभाव ने ही यहां पर रालोद नीत एनडीए गठबंधन की जीत को आसान कर दिया।

रालोद के टिकट पर सांसद बने चंदन चौहान के द्वारा इस्तीफा दिये जाने के बाद मीरापुर सीट पर उप चुनाव सम्पन्न हो गया। यहां पर रालोद प्रत्याशी की जीत होने से भाजपा और रालोद खेमे में खुशी का आलम छाया हुआ है। रालोद प्रत्याशी पूर्व विधायक मिथलेश पाल के रूप में एनडीए को मीरापुर सीट पर मिली इस शानदार जीत का मुख्य कारण मुस्लिम मतों का बंटवारा ही माना जा रहा है। आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी जाहिद हुसैन के पक्ष में दलित मुस्लिम समीकरण का जादू चला तो उनके समाज के वोटरों ने पूरी एकजुटता से साथ दिया, वहीं एआईएमआईएम के प्रत्याशी अरशद राणा ने भी जबरदस्त जनादेश लेकर परिणाम को उलटकर रख दिया। उन्होंने भी करीब 18 हजार से ज्यादा मत हासिल किये हैं। मुस्लिम मतों के इसी बंटवारे और मुस्लिम बूथों पर कम मतदान प्रतिशत रहने के कारण भाजपा व रालोद प्रत्याशी की जीत हुई है। इस क्षेत्र से मिथलेश पाल ने 15 साल बाद दूसरा उपचुनाव जीता है। वो 2009 में मोरना विधानसभा सीट से उप चुनाव में ही विधायक निर्वाचित हुई थी। इसके 2012 और 2017 में भी मिथलेश पाल ने इसी क्षेत्र में रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाई। अब भाजपा के रास्ते उनको रालोद से टिकट मिला और वो उप चुनाव में विधायक निर्वाचित हुई हैं।

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मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में 20 नवम्बर को हुए मतदान के दौरान 57.10 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट डाले थे। यहां पर कुल पंजीकृत 324571 वोटरों में से 185322 ने वोट डाली। मतगणना के बाद आये परिणाम में रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल ने ईवीएम में हुई मतों की गिनती में कुल 184666 मतों में से मिथलेश को कुल 83852 वोट प्राप्त किये। जबकि सुम्बुल राणा 53426 वोट ही हासिल कर सकीं। मिथलेश ने इस चुनावी दंगल में 30426 वोटों के अंतर से सपा की सुम्बुल राणा को हरा दिया। मिथलेश पाल उपचुनाव जीतकर दूसरी बार विधानसभा पहुंची है। इससे पहले साल 2009 में भी वह मोरना से विधायक रही हैं। बसपा प्रत्याशी शाह नजर को 3181 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। आसपा के जाहिद हुसैन ने 22400 वोट प्राप्त किये तो चौकाने वाली बात यह रही कि एआईएमआईएम के प्रत्याशी अरशद राणा को 18867 वोट मिले। सपा की हार की मुख्य वजह मुस्लिम मतों में जबरदस्त बंटवारे को ही माना जा रहा है। मिथलेश पाल के चुनाव जीतने के बाद प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल, एमएलसी वन्दना वर्मा, विधायक प्रसन्न चौधरी, पूर्व मत्री योगराज सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक, विजय शुक्ला, प्रभात तोमर सहित पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ता मतगणना स्थल पर पहुंचे और जीत पर खुशी जाहिर करते हुए मिठाई बांटी।  

पत्नी मिथलेश के सामने निर्दल अमरनाथ को मिले 265 वोट

मुजफ्फरनगर। मीरापुर विधानसभा सीट पर शनिवार को मतगणना के बाद आये परिणामों की घोषणा के साथ सम्पन्न हुए उप चुनाव में पत्नी जीतकर विधायक बन गई और उनके सामने निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले पति 500 वोट भी हासिल नहीं कर पाये। मीरापुर सीट पर हुए उप चुनाव में सपा, रालोद, बसपा, आसपा और एआईएमआईएम पार्टियों सहित कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। इनमें तीन निर्दल प्रत्याशी रहे। इन निर्दल प्रत्याशियों में भाजपा रालोद गठबंधन की प्रत्याशी मिथलेश पाल के पति अमरनाथ सिंह पाल भी शामिल रहे। हालांकि सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा के पति शाह मौहम्मद ने भी अपना नामांकन निर्दल प्रत्याशी के रूप में किया था, लेकिन उन्होंने बाद में अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। इस चुनाव में अमरनाथ पाल अपनी पत्नी मिथलेश के सामने निर्दल प्रत्याशी के रूप में डटे रहे। शनिवार को हुई मतगणना के दौरान दोनों को मतगणना स्थल पर साथ देखा गया। दोनों ने चाय नाश्ता और भोजन साथ बैठकर ही किया। इस चुनाव में पत्नी की जीत से अमरनाथ काफी उत्साहित नजर आये। उनकी पत्नी 30 हजार से ज्यादा के मतों के बड़े अंतर से चुनाव जीत गई, लेकिन अमरनाथ 500 वोट का आंकड़ा भी नहीं छू पाये। अमरनाथ को मीरापुर विधानसभा के इस उप चुनाव में कुल 265 मत ही प्राप्त हुए।

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15 साल पहले छोटे दल के कारण हारी थी, आज छोटों ने ही जिताया

मुजफ्फरनगर। मीरापुर विधानसभा चुनाव में रालोद के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुई मिथलेश पाल की किस्मत ने शुरूआत से ही जोर मारा। पहले उनको भाजपा के रास्ते रालोद से टिकट मिला और फिर उनके सामने सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा के खिलाफ तीन मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में आये। इस चुनावी घमासान के परिणाम का यही सबसे बड़ा फैक्टर रहा कि मुस्लिम वोटों में जबरदस्त बंटवारा हुआ और 15 साल पहले छोटे दल के प्रत्याशी के प्रदर्शन के कारण पराजित होने वाली मिथलेश पाल को इस उपचुनाव में छोटे दलों के प्रत्याशियों के बड़े प्रदर्शन ने ही दूसरी बार यूपी विधानसभा में पहुंचाने का काम किया है। 2012 के विधानसभा चुनाव में मिथलेश सीटिंग विधायक के रूप में रालोद के टिकट पर ही मीरापुर से चुनाव लड़ी। इसमें उनका मुकाबला बसपा के मौलाना जमील से हुआ। मौलाना जमील ने 56802 वोट हासिल किये तो मिथलेश पाल को 44069 मत मिले और वो 12733 मतों के अंतर से चुनाव हार गई। इस चुनाव के परिणाम में पीस पार्टी से मैदान में उतरे बिल्लू उर्फ जय सिंह ने बड़ा उलटफेर किया। बिल्लू ने कुल 13650 वोट हासिल किये और मिथलेश की हार में बड़ी भूमिका निभाई। अब 15 साल के बाद उप चुनाव में मिथलेश पाल ऐसे ही छोटे दलों आसपा के जाहिद हुसैन और एआईएमआईएम के अरशद राणा के जोरदार प्रदर्शन तथा मुस्लिम मतों में सपा के खिलाफ सेंधमारी करने के कारण चुनाव जीतकर विधायक बन गई हैं। 

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जीत के बाद मिथलेश बोलीं-यह योगी और जयंत के विश्वास की जीत

मीरापुर विधानसभा सीट की नवनिर्वाचित विधायक मिथलेश पाल ने कहा कि उनकी जीत यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और रालोद अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत सिंह के भरोसे की जीत है। चौधरी अजित सिंह ने उन्हें हमेशा राजनीति में आगे बढ़ाया। चुनाव के नतीजों की परवाह नहीं की। 2009 में चौधरी अजित सिंह ने टिकट दिया था और अब रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने उन पर विश्वास कायम करते हुए उनको टिकट देकर चुनाव लड़ाया। चौधरी चरण सिंह की नीतियों पर चलते हुए वह हमेशा किसान-मजदूरों के हित की लड़ाई लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि वो इस जनादेश के लिए जनता के साथ ही पार्टी का भी आभार व्यक्त करती हैं कि उन्होंने उन पर भरोसा दिखाया और दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर उनको चुनाव लड़ाने का काम किया। उपचुनाव में भाजपा के कोटे से रालोद का टिकट हासिल करने वाली मिथलेश पाल ने लंबा सियासी दौर देखा है। बसपा के टिकट पर 1995 में जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी। 2009 में मोरना विधानसभा के उपचुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंची। इसके बाद तीन विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोबारा जीत नहीं मिली। वह भाजपा में शामिल हो गई थी। समीकरण बदले तो एक बार फिर उन्हें मीरापुर से उपचुनाव लड़ने का मौका मिला।

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