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MUZAFFARNAGAR-पालिका से कहां गायब हो गये आठ कैमरे

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में करीब तीन साल पूर्व अतिक्रमण अभियान के दौरान टीम की सुरक्षा और निर्माण कार्यों की वीडियोग्राफी कराने के उद्देश्य से खरीदे गये 25 बॉडी वॉर्न एवं 03 वीडियो तथा स्टिल कैमरों की बंदरबांट करने का मामला अब जांच के दायरे तक पहंुच गया है। इनमें से आठ कैमरे पालिका से गायब बताये गये हैं। बोर्ड बैठक में चेयरपर्सन और ईओ के सामने सभासदों ने यह मामला उठाते हुए आरोप लगाये थे कि निर्माण विभाग ने पालिका की सम्पत्ति के रूप में इन कैमरों की बंदरबांट कर घपला किया है। इसकी जांच और दोषियों के खिलाफ विभागीय एवं कानूनी कार्यवाही की मांग की गई। इसमें शिकायत के आधार पर ईओ ने निर्माण विभाग से जवाब तलब किया है। निर्माण विभाग का दावा है कि कैमरों की कभी खरीदारी नहीं की गई और न ही ऐसी कोई पत्रावली विभाग के पास मौजूद है।

20 जुलाई को हुई नगरपालिका परिषद् की बोर्ड मीटिंग में भाजपा के सभासद राजीव शर्मा ने चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के समक्ष पूर्व बोर्ड के कार्यकाल में 25 बॉडी वॉर्न कैमरे और 03 बड़े वीडियो तथा स्टिल फोटोग्राफी कैमरों की खरीद का मामला उठाते हुए जवाब मांगा कि वो कैमरे कहां हैं? सदन में निर्माण विभाग के एई अखंड प्रताप सिंह ने पुख्ता दावा किया था कि ऐसे कोई भी कैमरे कभी खरीदे ही नहीं गये और न ही विभाग के पास ऐसी कोई पत्रावली है। सभासद ने इस मामले में लिखित शिकायत करते हुए ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह से जांच कराकर कार्यवाही करने की मांग की है। सभासद राजीव शर्मा ने बताया कि पूर्व में अंजू अग्रवाल के नेतृत्व वाले बोर्ड के कार्यकाल में 25 बॉडी वॉर्न कैमरों के साथ ही 03 बड़े वीडियो एवं स्टिल फोटोग्राफी कैमरों की खरीद निर्माण विभाग के द्वारा की गई थी। इन कैमरों के रखरखाव और सुरक्षा के लिए निर्माण विभाग के सहायक अभियंता को कस्टोडियन बनाया गया था। पालिका की सम्पत्ति के रूप में इन कैमरों की सुरक्षा का जिम्मा एई निर्माण का ही था, लेकिन ये कैमरे गायब कर दिये गये हैं।

पालिका सूत्रों के अनुसार करीब तीन साल पूर्व तत्कालीन एसएसपी के द्वारा चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल से ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को चैकिंग अभियान के लिए बॉडी वॉर्न कैमरे पालिका स्तर से उपलब्ध कराने के लिए सहयोग मांगा गया था। बोर्ड बैठक में बाकायदा प्रस्ताव लाकर 25 बॉडी वॉर्न कैमरों के साथ ही 03 बड़े कैमरों की टैण्डर आमंत्रित करते हुए मय चार्जर और लीड के साथ खरीदारी की गई थी। इनमें से 20 बॉडी वॉर्न कैमरे पालिका के द्वारा एसएसपी को ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के सहयोगार्थ उपलब्ध करा दिये गये थे। जबकि पांच बॉडी वॉर्न कैमरे और 03 बड़े कैमरों को पालिका में ही रखा गया था। इनमें से एक कैमरा पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल, एक कैमरा उनके स्टेनो गोपाल त्यागी को बोर्ड मीटिंग के दौरान लगाने के लिये दिया जाता रहा, जबकि शेष कैमरे कर विभाग के अधिकारियों को अतिक्रमण हटाओ अभियान के लिए दिये गये थे। 03 बड़े वीडियो और स्टिल कैमरे निर्माण विभाग के जेई को इस उद्देश्य से दिये गये थे कि वो निर्माण कार्यों की पूर्व और बाद की स्थिति की वीडियो और फोटोग्राफी कर सकें।

बताया कि पालिका से ये आठ कैमरे गायब हैं। सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ कैमरे अभी भी कर्मचारियों के पास हैं, जिसकी बंदरबांट की गई। मामले में ईओ डा. प्रज्ञा सिंह का कहना है कि निर्माण विभाग के एई और जेई से मौखिक आधार पर पूछने पर उन्होंने कैमरों की खरीदी से इंकार किया है। ऐसी कोई पत्रावली भी विभाग के पास होने से मना किया जा रहा है, लेकिन चूंकि बोर्ड मीटिंग में सभासद द्वारा लिखित शिकायत दी गई, इसके लिए सहायक अभियंता निर्माण अखंड प्रताप से इसको लेकर जवाब मांगा गया है। यदि इसमें शिकायत सही पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी की जायेगी।

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